GANGA MATA CHALISA IN ALL LANGUAGES

CHALISA IN ASSAMESE

।।প্ৰশংসা।|

মাতশালসুতাচপত্নীসুসুধাশংগৰধাৰাৱলি।

আৰোহণজাজান্তিভকতানীভগীৰথীপ্ৰাৰ্থনা।

 

।।দোহা।|

জয়জয়জগপাৱনী, জয়তিদেৱশ্ৰীগাং।

জয়শিৱজট্টানিচানী, অনুপমতুংৱেভ।

 

।।চৌপাই।|

জয়জয়জননীয়েঅঘানীকপৰাজিতকৰিছিল।গঙ্গাৰাণীউপভোগকৰক।

জয়ভগীৰথীসুৰছাৰীমাতা।কালিমালমূলডালিনিবিখ্যাত।

 

জয়জয়জাহানুসুতাআঘহানানি।ভীশমৰমাতৃএজনজাগে- মা।

ধনৱালকমলদলমামলঘু।লাখী১০০শাৰদচন্দ্ৰছবিলাজাই।

 

তাত, মকৰবিমলশুচি।অমিয়াকলসকৰলাখীমন।

যদিতাৰত্নাকাঞ্চনগহনা।হিয়ামণিহৰ, গ্ৰীনিটামফাউলিং।

 

জগপাৱনীট্ৰাইডউষ্ণতানাচনি।তৰলতৰংগতুংমনভবানী।

কোনগণপতিঅতিশ্ৰৱণীয়প্ৰধান।মইপ্ৰথমগংগাআস্না।

 

ব্ৰহ্মাকমান্দ্ৰালভাচিনিদেৱী।শ্ৰীপ্ৰভুপোষ্টপংকজসুখচিভ।

সহসাস্ত্ৰসাগৰসুথতৰো।গঙ্গাসাগৰতিৰথধাৰো।

 

আগমতৰংগ, মনগঢ়িতোলা।লাখীতিৰথহৰিদ্বাৰাসুহাৱন।

তিৰথৰাজপ্ৰয়াগআখেৱতা।ধৰোমাটুপুনিকাশীকাৰৱাত।

 

ধনীধনীসুৰছাৰীপোনপটীয়াকৈস্বৰ্গলৈ।তৰ্নিঅমিতা, কিন্তুতাইমাতালআছিল।

ভগীৰথীতাপকিয়োউপাৰা।ডিঅ’ ৰহমতাৱসুৰসৰীধাৰা।

 

যেতিয়াজগজননিচালোহৰৰাই।শমভুপৃথিৱীলৈযায়।

বৰষুণৰসময়তগংগামহাৰাণী।শ্বামলেণ্ডৰএটাপাহৰিবলৈযায়।

 

পুনিভগীৰথীশমভুহিধ্যানয়ো।তাৰপিছতমইজটাকপেয়’লৈপেইওলৈযাম

টেটমাটুভাট্ৰাইডশাখা।মৃত্যুলোক, নাবা, অৰুপাটাৰা।

 

আৰ্ল্ডৱৰ্ল্ডপ্ৰভাৱনাম।মদাকিনীৰগগনলালামা।

মৃত্যুলোকজাহৱীসুহাৱনী।কালিমালহৰনিআগমজগপাৱনী।

 

ধনিমাইয়াইতাৰপিছতগধুৰমহিমাকৰে।ধৰ্মঅক্ষকালীকালেশকুথাৰী।

মাতুপ্ৰভাৱতীধনিমনাকিনী।ধনিসুৰচৰিতসকালভয়নাচিনি।

 

পানীকৰতনিৰ্মলগংগাপানী।পাভমনটোৱেবিচৰাঅসীমফল।

জাগ্ৰিতহ’লেপূৰ্বজনমযোগ্যতা।গঙ্গাৰব্যয়একেই।

 

ওটচপাগুসুৰছাৰীৰবাবেউঠাই।তাইজাগিআশমেঘফলপাৱী।

মহানঅশুদ্ধজিনকাহুতৰানহয়।টিনেআইকেনামটিহাৰেতৰা।

 

মই১০০, যিটোএটাধ্যান।নিশ্চাইবিষ্ণুলোকপদ।

ভজাতঅজিতএজিনাশইৰনাম।বিমলগ্যনবালহৈছেইহৈছেইলেক্ট্ৰিক্ট।

 

জিমিধনমূলধৰ্মঅৰুদানা।মূলগেংৱাটাৰপ্ৰাপ্তকৰিবলৈ।

তেতিয়াবন্দুকৰগুণাগুণএটাদুখ।হোমহোমসম্পত্তিসুমটিভইৰা।

 

গংহিনামৰএটাধ্যান।দুৰ্ভাগ্যবশতঃ, ভদ্ৰলোকৰকাৰ্যালয়পৱত।

আচৰিতবিদ্যাবালপাৱাই।ৰোগীৰোগমুক্ত।

 

গঙ্গাগঙ্গাযাকপুৰুষবুলিকোৱাহয়।ভোকপোৱানগ্নটোকহুহনহয়।

নিকাতহৈছেমুখগঙ্গামাই।শ্ৰৱণদাবিয়মচলহীনপাৰাই।

 

তাৰকাসকলেমাহিনকঅৰ্ধহৃদয়বুলিকৈছিল।আৰুনৰকবন্ধকৰক।

পুৰুষজাপিগাং১০০নাম।মুঠসাফল্যপূৰণএইচ|আই|কামা।

 

সকলোসুখহৈছেচূড়ান্তকাৰ্যালয়।যান-বাহনঅবিহনে, কোনোযান-বাহননাই।

ধনিমাইয়াসুৰছাৰীসুখদৈনি।ধনিধনিতিৰথৰাজত্ৰিবেণী।

 

কাকৰাগাওঁঋষিদুৰ্বাচা।সুনদ্বাসগংগাকৰদসা।

কোনেএইগংগাচালিচাপঢ়িছিল।মিলিভক্তিঅৰালৱাগিচা।

 

।।দোহা।|

নতুনসুখৰসম্পত্তিআছে।গঙ্গাৰমনোযোগ।

শেষৰপৰাসুৰ-বাসল।সাদৰতবহিথকাএখনবিমান।

 

সংৱতভুতনভশি।ৰামজনমাদিৱসচৈত্ৰ।

ফিলিংচালিচাকৰিছিল।সেউজীয়াভকতানআগ্ৰহচকু।

CHALISA IN BENGALI

।| প্রশংসা ||

মাশৈলসুতাসস্ত্রীসসূধাশরঙ্গধরভালি।

স্বর্গাআরোহীজয়জয়ন্তীভক্তিভাগীরথিরআবেদন।

 

|| দোহ।।

জয়জয়জয়জগপাভানি, জয়তিদেবসারিগ্যাং।

জয়শিবজাটানিবাসিনী, অনুপমতুংতারং।

 

 

জয়জয়জনানীহারানাআগাখানি।উপভোগকরুনগঙ্গাররানী।

জয়ভাগীরথীসুরসারিমাতা।কালিমালমুলডালিনীবিহাইতা

 

জয়জয়জাহানুসুতাআঃহানানী।ভীষ্মেরমা, জাগোমা।

ধাওয়ালকমলদলএমএমতনুসাজে।লখিশরদশরদচন্দ্রচিত্রলাজাই।

 

মাকরবিমলশুচিসেখানেভিজিয়েরাখুন।অমিয়কল্যাশকরেমনকেসুখীকরুন।

যাদিতারত্নাকাঞ্চনজুয়েলারী।হাইমণিহারা, হরণিতমদুর্নীতি।

 

জগপাভানিত্রিতাপনসওয়ানি।তরলতরঙ্গ

জোগণপতিখুবশ্রদ্ধেয়মাথা।ইহুনতেমেদিনগঙ্গাআশান।

 

ব্রহ্মাকমণ্ডলভাসিনীদেবী।শ্রীপ্রভুপঙ্কজসুখসেভি।

সহচরসহাস্ত্রসাগরসুত্রাতারো।গঙ্গাসাগরতীরথধরিও।

 

আগমতারংউচ্যোমনভবান।লক্ষীতীরথহরিদ্বারসুহাবান।

তিরথরাজপ্রয়াগঅক্ষয়ভেতা।ধরিওমাতুপুণিকাশিকরবত।

 

সমৃদ্ধসমৃদ্ধসুরসারীস্বর্গেরপ্রত্যক্ষ।তারানীঅমিতাপিটুপ Pad়িপরহি।

ভাগীরথীতপকিওউপরা।দেওব্রহ্মতভাসুরসারিধারা।

 

জগজনানীযখনহেঁটেছিল।শম্ভুগিয়েবাঁচে

বৃষ্টিরসময়গঙ্গারানী।ভুলানিকেশম্ভুরকাছেছেড়েদেওয়াহয়েছিল।

 

পুণিভাগীরথীশম্ভুহিধ্যায়ো।তারপরেএকফোঁটাছাড়ুন

তাতমাতুভেত্রিস্রোত।মৃত্যুলোক, নাভা, আরুপাতারা।

 

গয়াপটলপ্রভবতীনামাগগনলালামমন্দিনী।

মৃত্যুলোকজাহ্নবীসুহাবনী।কালীমালহরনীআগমজগপাভানি।

 

ধানমাইয়াতখনভারীগৌরবকরিল।ধর্মানধূরীকালীকালুশকুঠারি।

মাতুপ্রভবতীধনীমন্দাকিনী।ধানিসুরসরিতসাকালভায়ণাসিনী।

 

পানকরাতনির্মলগঙ্গারজল।স্বীকৃতমনকাঙ্ক্ষিতঅসীমফল।

পূর্বজন্মপুণ্যযখনজগত।এজন্যধ্যানেরজন্যগঙ্গাকেখুবব্যয়করাহয়।

 

পাগুসুরসারীরজন্যওটসনেওয়াহয়েছে।তাইজগিঅশ্বমেধফলপাভী।

আমাকেঅশুচিজিনবলবেননা।তিতারেএকনামতিহারে।

 

শটযোজনহুনহুনথেকেজোধ্যাবহিন।নিশ্চইবিষ্ণুলোকপদাপাভ।

নামভজনঅগ্নিৎআঃনাশাইজ্ঞানেরআলোজ্ঞানেরসাথেআলোকিতহোক।

 

জিমিধনআসলধর্মঅরুদানা।আসলগঙ্গারজলপাওয়া।

তারপরেদুঃখেরসাথেবন্দুকটিরসংখ্যাবৃদ্ধিকরা।ঘরেরসম্পত্তি, সুমতিবিরাজত।

 

গাঙ্গীনামনিয়েমনোযোগদিন।দুর্জনহুসৃজনপদাওয়াত।

উদিহিনবিদ্যাবালপবাই।রোগীরোগমুক্ত।

 

গঙ্গাগঙ্গাযাপুরুষবলাহয়না।অনাহারেনগ্নকাবুহুহনেই।

গঙ্গামাইখুবভাল।শ্রাবণদবিইয়ামাচালিনপরাই।

 

কোথায়আছেনঅঘিনআধমানেরমতোতারকারাশ্যালকেরবন্ধদেয়াল।

যেপুরুষগ্যাংজপকরেমোটপ্রাপ্তি

 

সমস্তআনন্দইচূড়ান্তমর্যাদা।কোনওট্র্যাফিকনেই।

ধনীমাইয়াসুরসারিসুখদাইনি।ধানিধানিতিরথরাজত্রিবেণী।

 

কাকড়াগ্রামসেজেদুর্বাসা।সুন্দরদাসগঙ্গাগঙ্গাদাসা।

কেএইগঙ্গাচালিশাপড়েছে।ভক্তিঅবীরাগভোগিসাপেলেন।

 

|| দোহ।।

নতুনআনন্দআছে।গঙ্গারমনোযোগধরুন।

আনতাসমাইসুরপুরবেসাল।সদরবিমান।

 

সংভাটভুটনবধিষি।রামেরজন্মদিনেচৈত্র।

চালিশাহয়েগেছে।সবুজভক্তেরআগ্রহ

CHALISA IN BODO

Bodo and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Chalisa written in Awadhi dialect. 

॥दोहा॥

जय जय जय जग पावनी, जयति देवसरि गंग।
जय शिव जटा निवासिनी, अनुपम तुंग तरंग॥

॥चौपाई॥

जय जय जननी हराना अघखानी। आनंद करनी गंगा महारानी॥

जय भगीरथी सुरसरि माता। कलिमल मूल डालिनी विख्याता॥

जय जय जहानु सुता अघ हनानी। भीष्म की माता जगा जननी॥

धवल कमल दल मम तनु सजे। लखी शत शरद चंद्र छवि लजाई॥

वहां मकर विमल शुची सोहें। अमिया कलश कर लखी मन मोहें॥

जदिता रत्ना कंचन आभूषण। हिय मणि हर, हरानितम दूषण॥

जग पावनी त्रय ताप नासवनी। तरल तरंग तुंग मन भावनी॥

जो गणपति अति पूज्य प्रधान। इहूं ते प्रथम गंगा अस्नाना॥

ब्रह्मा कमंडल वासिनी देवी। श्री प्रभु पद पंकज सुख सेवि॥

साथी सहस्त्र सागर सुत तरयो। गंगा सागर तीरथ धरयो॥

अगम तरंग उठ्यो मन भवन। लखी तीरथ हरिद्वार सुहावन॥

तीरथ राज प्रयाग अक्षैवेता। धरयो मातु पुनि काशी करवत॥

धनी धनी सुरसरि स्वर्ग की सीधी। तरनी अमिता पितु पड़ पिरही॥

भागीरथी ताप कियो उपारा। दियो ब्रह्म तव सुरसरि धारा॥

जब जग जननी चल्यो हहराई। शम्भु जाता महं रह्यो समाई॥

वर्षा पर्यंत गंगा महारानी। रहीं शम्भू के जाता भुलानी॥

पुनि भागीरथी शम्भुहीं ध्यायो। तब इक बूंद जटा से पायो॥

ताते मातु भें त्रय धारा। मृत्यु लोक, नाभा, अरु पातारा॥

गईं पाताल प्रभावती नामा। मन्दाकिनी गई गगन ललामा॥

मृत्यु लोक जाह्नवी सुहावनी। कलिमल हरनी अगम जग पावनि॥

धनि मइया तब महिमा भारी। धर्मं धुरी कलि कलुष कुठारी॥

मातु प्रभवति धनि मंदाकिनी। धनि सुर सरित सकल भयनासिनी॥

पन करत निर्मल गंगा जल। पावत मन इच्छित अनंत फल॥

पुरव जन्म पुण्य जब जागत। तबहीं ध्यान गंगा महं लागत॥

जई पगु सुरसरी हेतु उठावही। तई जगि अश्वमेघ फल पावहि॥

महा पतित जिन कहू न तारे। तिन तारे इक नाम तिहारे॥

शत योजन हूं से जो ध्यावहिं। निशचाई विष्णु लोक पद पावहीं॥

नाम भजत अगणित अघ नाशै। विमल ज्ञान बल बुद्धि प्रकाशे॥

जिमी धन मूल धर्मं अरु दाना। धर्मं मूल गंगाजल पाना॥

तब गुन गुणन करत दुख भाजत। गृह गृह सम्पति सुमति विराजत॥

गंगहि नेम सहित नित ध्यावत। दुर्जनहूं सज्जन पद पावत॥

उद्दिहिन विद्या बल पावै। रोगी रोग मुक्त हवे जावै॥

गंगा गंगा जो नर कहहीं। भूखा नंगा कभुहुह न रहहि॥

निकसत ही मुख गंगा माई। श्रवण दाबी यम चलहिं पराई॥

महं अघिन अधमन कहं तारे। भए नरका के बंद किवारें॥

जो नर जपी गंग शत नामा। सकल सिद्धि पूरण ह्वै कामा॥

सब सुख भोग परम पद पावहीं। आवागमन रहित ह्वै जावहीं॥

धनि मइया सुरसरि सुख दैनि। धनि धनि तीरथ राज त्रिवेणी॥

ककरा ग्राम ऋषि दुर्वासा। सुन्दरदास गंगा कर दासा॥

जो यह पढ़े गंगा चालीसा। मिली भक्ति अविरल वागीसा॥

॥दोहा॥

नित नए सुख सम्पति लहैं। धरें गंगा का ध्यान।
अंत समाई सुर पुर बसल। सदर बैठी विमान॥

संवत भुत नभ्दिशी। राम जन्म दिन चैत्र।
पूरण चालीसा किया। हरी भक्तन हित नेत्र॥

॥ इति श्री गंगा चालीसा सम्पूर्ण ॥

CHALISA IN DOGRI

Dogri and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Chalisa written in Awadhi dialect. 

॥दोहा॥

जय जय जय जग पावनी, जयति देवसरि गंग।
जय शिव जटा निवासिनी, अनुपम तुंग तरंग॥

॥चौपाई॥

जय जय जननी हराना अघखानी। आनंद करनी गंगा महारानी॥

जय भगीरथी सुरसरि माता। कलिमल मूल डालिनी विख्याता॥

जय जय जहानु सुता अघ हनानी। भीष्म की माता जगा जननी॥

धवल कमल दल मम तनु सजे। लखी शत शरद चंद्र छवि लजाई॥

वहां मकर विमल शुची सोहें। अमिया कलश कर लखी मन मोहें॥

जदिता रत्ना कंचन आभूषण। हिय मणि हर, हरानितम दूषण॥

जग पावनी त्रय ताप नासवनी। तरल तरंग तुंग मन भावनी॥

जो गणपति अति पूज्य प्रधान। इहूं ते प्रथम गंगा अस्नाना॥

ब्रह्मा कमंडल वासिनी देवी। श्री प्रभु पद पंकज सुख सेवि॥

साथी सहस्त्र सागर सुत तरयो। गंगा सागर तीरथ धरयो॥

अगम तरंग उठ्यो मन भवन। लखी तीरथ हरिद्वार सुहावन॥

तीरथ राज प्रयाग अक्षैवेता। धरयो मातु पुनि काशी करवत॥

धनी धनी सुरसरि स्वर्ग की सीधी। तरनी अमिता पितु पड़ पिरही॥

भागीरथी ताप कियो उपारा। दियो ब्रह्म तव सुरसरि धारा॥

जब जग जननी चल्यो हहराई। शम्भु जाता महं रह्यो समाई॥

वर्षा पर्यंत गंगा महारानी। रहीं शम्भू के जाता भुलानी॥

पुनि भागीरथी शम्भुहीं ध्यायो। तब इक बूंद जटा से पायो॥

ताते मातु भें त्रय धारा। मृत्यु लोक, नाभा, अरु पातारा॥

गईं पाताल प्रभावती नामा। मन्दाकिनी गई गगन ललामा॥

मृत्यु लोक जाह्नवी सुहावनी। कलिमल हरनी अगम जग पावनि॥

धनि मइया तब महिमा भारी। धर्मं धुरी कलि कलुष कुठारी॥

मातु प्रभवति धनि मंदाकिनी। धनि सुर सरित सकल भयनासिनी॥

पन करत निर्मल गंगा जल। पावत मन इच्छित अनंत फल॥

पुरव जन्म पुण्य जब जागत। तबहीं ध्यान गंगा महं लागत॥

जई पगु सुरसरी हेतु उठावही। तई जगि अश्वमेघ फल पावहि॥

महा पतित जिन कहू न तारे। तिन तारे इक नाम तिहारे॥

शत योजन हूं से जो ध्यावहिं। निशचाई विष्णु लोक पद पावहीं॥

नाम भजत अगणित अघ नाशै। विमल ज्ञान बल बुद्धि प्रकाशे॥

जिमी धन मूल धर्मं अरु दाना। धर्मं मूल गंगाजल पाना॥

तब गुन गुणन करत दुख भाजत। गृह गृह सम्पति सुमति विराजत॥

गंगहि नेम सहित नित ध्यावत। दुर्जनहूं सज्जन पद पावत॥

उद्दिहिन विद्या बल पावै। रोगी रोग मुक्त हवे जावै॥

गंगा गंगा जो नर कहहीं। भूखा नंगा कभुहुह न रहहि॥

निकसत ही मुख गंगा माई। श्रवण दाबी यम चलहिं पराई॥

महं अघिन अधमन कहं तारे। भए नरका के बंद किवारें॥

जो नर जपी गंग शत नामा। सकल सिद्धि पूरण ह्वै कामा॥

सब सुख भोग परम पद पावहीं। आवागमन रहित ह्वै जावहीं॥

धनि मइया सुरसरि सुख दैनि। धनि धनि तीरथ राज त्रिवेणी॥

ककरा ग्राम ऋषि दुर्वासा। सुन्दरदास गंगा कर दासा॥

जो यह पढ़े गंगा चालीसा। मिली भक्ति अविरल वागीसा॥

॥दोहा॥

नित नए सुख सम्पति लहैं। धरें गंगा का ध्यान।
अंत समाई सुर पुर बसल। सदर बैठी विमान॥

संवत भुत नभ्दिशी। राम जन्म दिन चैत्र।
पूरण चालीसा किया। हरी भक्तन हित नेत्र॥

॥ इति श्री गंगा चालीसा सम्पूर्ण ॥

CHALISA IN ENGLISH

Doha

Jai Jai Jai Jag Pavani, Jayati Devasari Ganga.
Jai Shiv Jata Nivasini, Anupam Tung Taranga.

Chaupai

Jai Jai Janani Harana Agh Khani, Anand Karani Ganga Maharani.

Jai Bhagirath Surasuri Mata, Kalimal Mul Dalani Nikhyata.

Jai Jai Jahanu Suta Agh Hanani, Bhishma Ki Mata Jaga Janani.

Dhaval Kamal Dal Mam Tanu Saje, Lakhi Shat Sharad Chandra Chhavi Lajai.

Vahan Makar Vimal Shuchi Sohain, Amiya Kalash Kar Lakhi Man Mohain.

Jadita Ratna Kanchan Abhushan, Hiya Mani Har, Haranitam Dushan.

Jag Pavani Traya Tap Nasavani, Taral Tarang Tunga Mana Bhavani.

Jo Ganapati Ati Pujya Pradhana, Ihun Te Pratham Ganga Asnana .

Brahma Kamandal Vasini Devi, Shri Prabhu Pad Pankaj Sukh Sevi.

Sathi Sahastra Sagar Sut Taryo,. Ganga Sagar Tirth Dharyo.

Agam Tarang Uthyo Man Bhavan, Lakhi Tirth Haridvar Suhavan.

Tirth Raj Prayag Akshaiveta, Dharyo Matu Puni Kashi Karvat.

Dhani Dhani Surasari Svarga Ki Sidhi, Tarani Amita Pitu Pad Pirhi.

Barsha Paryant Ganga Maharani, Rahin Shambhu Ke Jata Bhulani.

Puni Bhagirathi Shambhuhin Dhyayo, Taba Ika Band Jata Se Payo.

Tate Matu Bhain Traya Dhara, Mrityu Lok, Nabha, Aru Patara.

Gain Patal Prabhavati, Nama, Mandakini Gai Gagan Lelama.

Mrityu Lok Jahnavi Suhavani, Kalimal Harani Agam Jag Pa Vani.

Dhani Maiya Tab Mahima Bhari, Dharma Dhuri Kali Kalush Kuthari.

Matu Prabhavati Dhani Mandakini, Dhani Sur Sarith Sakal Bhainasini.

Pan Karat Nirmal Ganga Jal, Pavat Man Ichchhit Anant Phal.

Purva Janma Punya Jaba Jagat, Tabahin Dhyan Ganga Mahan Lagat.

Jai Pagu Sursari Hetu Uthavahi, Tai Jagi Ashva Megha Phal Pavahi.

Maha Patit Jin Kahu Na Tare, Tin Tare Ik Nam Tihare.

Shat Yojanahun Se Jo Dhyavahin, Nishchai Vishnu Lok Pad Pavahin.

Nam Bhajat Aganit Agh Na Shai, Vimal Gyan Bal Budhi Prakashai.

Jimi Dhan Mula Dharma Aru Dana, Dharma Mula Ganga Jal Pana.

Taba Gun Gunan Karat Dukh Bhajat, Griha Griha Smapati Sumati Virajat.

Gangahi Nem Sahit Nit Dhyavat, Duraj Nahun Sajjan Pad Pavat.

Buddihin Vidhya Bal Pavai, Rogi Rog Mukta Hvai Javai.

Ganga Ganga Jo Nara Kahahin, Bhukha Nanga Kabhuhuh Na Rahahi.

Niksat Hi Mukh Ganga Mahi, Shravana Dabi Yama Chalahin Parai.

Mahan Aghin Adhman Kahan Tare, Bhae Narka Ke Bande Kivaren.

Jo Nar Japai Ganga Shat Nama, Sakal Siddhi Puran Hvai Kama.

Sab Sukh Bhog Param Pad Pavahir, Avagaman Rahit Hvai Javahin.

Dhani Maiya Surasari Sukhdaini, Dhani Dhani Tirath Raj Tniveni.

Kakara Gram Rishi Durvasa, Sundardas Gang Kar Dasa.

Jo Yah Padhe Ganga Chalisa, Milai Bhakti Aviral Vagisa.

Doha

Nit Nay Sukh Sampati Iahain, Dharen Ganga Ka Dhyan.
Anta Samai Sur Pur Basal, Sadar Baithi Viman.

॥ Iti Shree Ganga Chalisa Sampoorn ॥

CHALISA IN GUJRATI

|| વખાણ ||

માતાશૈલસુતાપત્નીસાસુધાશ્રરંગરધરાવલી|

સ્વર્ગઆરોહીજયજયંતિભક્તિભાગીરતીવિનંતી

 

|| દોહા ||

જયજયજયજગપવાની, જયતીદેવસારીગેંગ|

જયશિવજાતાનિવાસિની, અનુપમતુંગતારંગ|

 

 

જયજયજાનનીહરણાઅખાણી|ગંગારાણીનોઆનંદમાણો|

જયભગીરથીસુરસારીમાતા|કાલિમાલમૂલદલિનીવિખાયતા

 

જયજયજહનુસુતાઆગહનાની|ભીષ્મનીમાતા, જાગૃતમાતા|

ધવલકમલદળએમએમતનુપોશાકપહેર્યો|લાખીશરદશરદચંદ્રછબીલાજાઇ|

 

મકરવિમલશુચિનેત્યાંપલાળો|અમીયાકલશકરીનેમનનેખુશકરો|

જડિતારત્નકંચનજ્વેલરી|હાયમણિહારા, હરનિતામભ્રષ્ટાચાર|

 

જગપવાનીત્રિગરમીનસવાણી।પ્રવાહીતરંગ

જ Gan ગણપતિખૂબજઆદરણીયવડાછે|ઇહુંતેમેડનગંગાઆસન|

 

બ્રહ્માકમંડલવસિનીદેવી|શ્રીપ્રભુપંકજસુખસેવી|

સાથીસહસ્ત્રસાગરસૂત્રતારો|ગંગાસાગરતિરથધારીયો|

 

આગમતારંગઉચ્યોમનભવન|લાખીતિરથહરિદ્વારસુહાવન|

તિરથરાજપ્રયાગઅક્ષયવેતા।ધરિયોમટુપુનિકાશીકરવત।

 

શ્રીમંતસમૃદ્ધસુરસરીસ્વર્ગનોડાયરેક્ટછે|તારીણીઅમિતાપિતુપપરિહિ।

ભગીરથીતપકીયોઉપરા|દેવબ્રહ્માતવાસુરસારીધારા।

 

જ્યારેજગજનાનીચાલ્યા|શંભુજાયછેઅનેજીવેછે

વરસાદદરમિયાનગંગારાણી|ભુલાણીનેશંભુછોડીદેવાયોહતો|

 

પુનિભગીરથીશંભુહિધ્યાનયો।પછીએકડ્રોપદ્વારાછોડીદો

તેતેમાતુભીત્રણેપ્રવાહ|મૃત્યુલોક, નાભા, અરુપતારા|

 

ગયાપાટલપ્રભાવતીનામાગગનલાલામમંદિની|

મૃત્યુલોકજાહ્નવીસુહાવાની|કાલીમલહરણીઆગમજગપવાની|

 

ત્યારેધનમૈયાએભારેમહિમાકરી|ધર્મનધૂરીકાલીકલુષકુથારી|

મટુપ્રભાવવતીધનીમંદાકિની|ધણીસુરસરિતસકલભાયાનાસિની।

 

પાનકરતનિર્મળગંગાજળ|સ્વીકાર્યુંમનઇચ્છિતઅનંતફળ|

પૂર્વાજન્મગુણજ્યારેજગત|તેથીજધ્યાનમાટેગંગાનીખૂબકિંમતપડેછે|

 

ઓગપગુસુરસારીમાટેલીધું|તાયજાગીઅશ્વમેધફળપાવિ।

મનેમહાનઅશુદ્ધજિનકહોનહીં|તિતારેએકનામતિહરે|

 

શતયોજનાહૂંહૂંમાંથીજેધ્યાનવાઈન|નિશ્ચાયવિષ્ણુલોકપદાપાવ।

નામભજનઅગ્નિતઆ a નશas શાણપણનોપ્રકાશશાણપણથીચમકશે|

 

જીમ્મીધનઅસલધર્મઅરુદના|મૂળગંગાજળમેળવવું|

પછીઉદાસીસાથેબંદૂકગુણાકાર|મકાનસંપત્તિ, સુમતિવિરાજત|

 

ગંગાનામસાથેધ્યાન|દુર્જનહુસજ્જનપદાવત।

ઉધહિંવિદ્યાબાલપવાઈ।દર્દીરોગમુક્તછે|

 

ગંગાગંગાજેનેનરકહેવામાંઆવતીનથી|ત્યાંકોઈભૂખેમરતાનગ્નકાબુહુહનથી|

ગંગામાઈખૂબસારીછે|શ્રવણદબીયમચલિનપરાય|

 

અગીનઅધ્માનજેવાતારાઓક્યાંછેભાઈ-ભાભીનીદિવાલોબંધ|

જેપુરુષગેંગનોજાપકરેછેકુલસિદ્ધિ

 

બધાઆનંદએઅંતિમસ્થિતિછે|ત્યાંકોઈટ્રાફિકનથી|

ધણીમૈયાસુસારિસુખદૈની।ધણીધણીતિરથરાજત્રિવેણી|

 

કાકરાગામસેજદુર્વાસા|સુંદરદાસગંગાગંગાદાસા|

જેમણેઆગંગાચાલીસાવાંચી|પ્રાપ્તભક્તિઅવિરાગવગીસા|

 

|| દોહા ||

નવાઆનંદમળેછે|ગંગાનુંધ્યાનરાખો|

અંતાસમાઈસુરપૂરબેસલ|સદરવિમાન|

 

સંવતભુતનબધીષિ।રામનાજન્મદિવસપરચૈત્ર|

ચાલીસાથઈછે|લીલાભક્તરસ

CHALISA IN HINDI

।। दोहा ।।

॥दोहा॥

जय जय जय जग पावनी, जयति देवसरि गंग।
जय शिव जटा निवासिनी, अनुपम तुंग तरंग॥

॥चौपाई॥

जय जय जननी हराना अघखानी। आनंद करनी गंगा महारानी॥

जय भगीरथी सुरसरि माता। कलिमल मूल डालिनी विख्याता॥

जय जय जहानु सुता अघ हनानी। भीष्म की माता जगा जननी॥

धवल कमल दल मम तनु सजे। लखी शत शरद चंद्र छवि लजाई॥

वहां मकर विमल शुची सोहें। अमिया कलश कर लखी मन मोहें॥

जदिता रत्ना कंचन आभूषण। हिय मणि हर, हरानितम दूषण॥

जग पावनी त्रय ताप नासवनी। तरल तरंग तुंग मन भावनी॥

जो गणपति अति पूज्य प्रधान। इहूं ते प्रथम गंगा अस्नाना॥

ब्रह्मा कमंडल वासिनी देवी। श्री प्रभु पद पंकज सुख सेवि॥

साथी सहस्त्र सागर सुत तरयो। गंगा सागर तीरथ धरयो॥

अगम तरंग उठ्यो मन भवन। लखी तीरथ हरिद्वार सुहावन॥

तीरथ राज प्रयाग अक्षैवेता। धरयो मातु पुनि काशी करवत॥

धनी धनी सुरसरि स्वर्ग की सीधी। तरनी अमिता पितु पड़ पिरही॥

भागीरथी ताप कियो उपारा। दियो ब्रह्म तव सुरसरि धारा॥

जब जग जननी चल्यो हहराई। शम्भु जाता महं रह्यो समाई॥

वर्षा पर्यंत गंगा महारानी। रहीं शम्भू के जाता भुलानी॥

पुनि भागीरथी शम्भुहीं ध्यायो। तब इक बूंद जटा से पायो॥

ताते मातु भें त्रय धारा। मृत्यु लोक, नाभा, अरु पातारा॥

गईं पाताल प्रभावती नामा। मन्दाकिनी गई गगन ललामा॥

मृत्यु लोक जाह्नवी सुहावनी। कलिमल हरनी अगम जग पावनि॥

धनि मइया तब महिमा भारी। धर्मं धुरी कलि कलुष कुठारी॥

मातु प्रभवति धनि मंदाकिनी। धनि सुर सरित सकल भयनासिनी॥

पन करत निर्मल गंगा जल। पावत मन इच्छित अनंत फल॥

पुरव जन्म पुण्य जब जागत। तबहीं ध्यान गंगा महं लागत॥

जई पगु सुरसरी हेतु उठावही। तई जगि अश्वमेघ फल पावहि॥

महा पतित जिन कहू न तारे। तिन तारे इक नाम तिहारे॥

शत योजन हूं से जो ध्यावहिं। निशचाई विष्णु लोक पद पावहीं॥

नाम भजत अगणित अघ नाशै। विमल ज्ञान बल बुद्धि प्रकाशे॥

जिमी धन मूल धर्मं अरु दाना। धर्मं मूल गंगाजल पाना॥

तब गुन गुणन करत दुख भाजत। गृह गृह सम्पति सुमति विराजत॥

गंगहि नेम सहित नित ध्यावत। दुर्जनहूं सज्जन पद पावत॥

उद्दिहिन विद्या बल पावै। रोगी रोग मुक्त हवे जावै॥

गंगा गंगा जो नर कहहीं। भूखा नंगा कभुहुह न रहहि॥

निकसत ही मुख गंगा माई। श्रवण दाबी यम चलहिं पराई॥

महं अघिन अधमन कहं तारे। भए नरका के बंद किवारें॥

जो नर जपी गंग शत नामा। सकल सिद्धि पूरण ह्वै कामा॥

सब सुख भोग परम पद पावहीं। आवागमन रहित ह्वै जावहीं॥

धनि मइया सुरसरि सुख दैनि। धनि धनि तीरथ राज त्रिवेणी॥

ककरा ग्राम ऋषि दुर्वासा। सुन्दरदास गंगा कर दासा॥

जो यह पढ़े गंगा चालीसा। मिली भक्ति अविरल वागीसा॥

॥दोहा॥

नित नए सुख सम्पति लहैं। धरें गंगा का ध्यान।
अंत समाई सुर पुर बसल। सदर बैठी विमान॥

संवत भुत नभ्दिशी। राम जन्म दिन चैत्र।
पूरण चालीसा किया। हरी भक्तन हित नेत्र॥

॥ इति श्री गंगा चालीसा सम्पूर्ण ॥

CHALISA IN KANNADA

|| ಹೊಗಳಿಕೆ ||

ತಾಯಿಶೈಲ್ಸುತಾಸ್ಪತ್ನಿಸಾಸುಧಶ್ರಂಗರ್ಧರವಾಲಿ|

ಸ್ವರ್ಗಆರೋಹಣಜಯಜಯಂತಿಭಕ್ತಿಭಾಗೀರಥಿಮನವಿ|

 

|| ದೋಹಾ ||

ಜೈಜೈಜೈಜಗ್ಪಾವನಿ, ಜಯತಿದೇವ್ಸರಿಗ್ಯಾಂಗ್ |

ಜೈಶಿವಜಾತಾನಿವಾಸಿನಿ, ಅನುಪಮ್ತುಂಗ್ತರಂಗ್ |

 

 

ಜೈಜೈಜನಾನಿಹರಾನಾಅಖಾನಿ|ಗಂಗಾರಾಣಿಯನ್ನುಆನಂದಿಸಿ|

ಜೈಭಾಗೀರಥಿಸುರಸರಿಮಾತಾ|ಕಲಿಮಲ್ಮೂಲ್ದಳಿನಿವಿಖೈತ

 

ಜೈಜೈಜಹಾನುಸೂತಾಅಘ್ಹನಾನಿ|ಭೀಷ್ಮನತಾಯಿ, ತಾಯಿಯನ್ನುಎಚ್ಚರಗೊಳಿಸಿ|

ಧವಲ್ಕಮಲ್ದಳಎಂಎಂತನುಉಡುಗೆ|ಲಖಿಶರದ್ಶರದ್ಚಂದ್ರಚಿತ್ರಲಜೈ|

 

 

ಮಕರವಿಮಲ್ಶುಚಿಯನ್ನುಅಲ್ಲಿನೆನೆಸಿ|ಅಮಿಯಾಕಲಾಶ್ಮಾಡುವಮೂಲಕಮನಸ್ಸನ್ನುಸಂತೋಷಪಡಿಸಿ|

ಜದಿತಾರತ್ನಕಾಂಚನ್ಜ್ಯುವೆಲ್ಲರಿ|ಹಾಯ್ಮಣಿಹರ, ಹರಾನಿತಂಭ್ರಷ್ಟಾಚಾರ|

 

ಜಗ್ಪವಾನಿಟ್ರೈಶಾಖನಸ್ವಾನಿ|ದ್ರವತರಂಗ

ಜೋಗಣಪತಿಬಹಳಪೂಜ್ಯತಲೆ|ಇಹುನ್ತೆಮೇಡನ್ಗಂಗಾಆಸನ|

 

ಬ್ರಹ್ಮಕಮಂಡಲ್ವಾಸಿನಿದೇವಿ|ಶ್ರೀಪ್ರಭುಪಂಕಜ್ಸುಖ್ಸೆವಿ|

ಸಹವರ್ತಿಸಾಗರ್ಸೂತ್ರತಾರೋ|ಗಂಗಾಸಾಗರ್ತಿರಥ್ ​​ಧರಿಯೋ|

 

ಅಗಮ್ತರಂಗ್ಉಚ್ಯೋಮ್ಯಾನ್ಭವನ|ಲಖಿತಿರಥ್ ​​ಹರಿದ್ವಾರಸುಹವನ್|

ತಿರಥ್ ​​ರಾಜ್ಪ್ರಯಾಗ್ಅಕ್ಷಯವೇತ|ಧರಿಯೋಮಾಟುಪುನಿಕಾಶಿಕರ್ವತ್|

 

ಶ್ರೀಮಂತಶ್ರೀಮಂತಸುರ್ಸಾರಿಸ್ವರ್ಗದನೇರ|ತರಣಿಅಮಿತಾಪಿಟುಪಾಧಿಪಾರಿಹಿ|

ಭಾಗೀರಥಿಟ್ಯಾಪ್ಕಿಯೋಉಪರಾ|ದಿಯೋಬ್ರಹ್ಮತವಸುರಸಾರಿಧರ|

 

ಜಗಜನಾನಿನಡೆದಾಗ|ಶಂಭುಹೋಗಿಬದುಕುತ್ತಾನೆ

ಮಳೆಸಮಯದಲ್ಲಿಗಂಗಾರಾಣಿ|ಭುಲಾನಿಯನ್ನುಶಂಭುಗೆಬಿಡಲಾಯಿತು|

 

ಪುಣಿಭಾಗೀರಥಿಶಂಭುಹಿಧಯ್ಯೋ|ನಂತರಒಂದುಹನಿಮೂಲಕಬಿಡಿ

ಟೇಟ್ಮಾಟುಭೆಟ್ರೈಸ್ಟ್ರೀಮ್|ಡೆತ್ಲೋಕ್, ನಭಾ, ಅರುಪಟಾರಾ|

 

ಗಯಾಪಾಟಲ್ಪ್ರಭಾವತಿನಾಮಾಗಗನ್ಲಾಲಾಮ್ಮಂದಿನಿ|

ಸಾವುಲೋಕಜಹ್ನವಿಸುಹವಾನಿ|ಕಲಿಮಲ್ಹರ್ನಿಅಗಮ್ಜಗ್ಪಾವನಿ|

 

ಧನ್ಮೈಯಾನಂತರಭಾರಿವೈಭವೀಕರಿಸಿದರು|ಧರ್ಮನ್ಧುರಿಕಾಳಿಕಲುಶ್ಕುಥಾರಿ|

ಮಾಟುಪ್ರಭಾವತಿಧನಿಮಂಡಕಿನಿ|ಧನಿಸುರ್ಸರಿತ್ಸಕಲ್ಭಯನಸಿನಿ|

 

ಪ್ಯಾನ್ಕರತ್ನಿರ್ಮಲ್ಗಂಗಾನೀರು|ಅಂಗೀಕರಿಸಿದಮನಸ್ಸುಅಪರಿಮಿತಫಲವನ್ನುಬಯಸಿದೆ|

ಜಗತ್ಮಾಡಿದಾಗಪೂರ್ಣಜನ್ಮಸದ್ಗುಣ|ಅದಕ್ಕಾಗಿಯೇಧ್ಯಾನವುಗಂಗಾಕ್ಕೆತುಂಬಾಖರ್ಚಾಗುತ್ತದೆ|

 

ಪಾಗ್ಸುರಸಾರಿಗಾಗಿಓಟ್ಸ್ತೆಗೆದುಕೊಳ್ಳಲಾಗಿದೆ|ತೈಜಾಗಿಅಶ್ವಮೇದ್ಹಣ್ಣುಪವಿ|

ದೊಡ್ಡಅಶುದ್ಧಜಿನ್ಅನ್ನುನನಗೆಹೇಳಬೇಡಿ|ಟಿತಾರೆಇಕ್ನಾಮ್ತಿಹರೆ|

 

ಶಟ್ಯೋಜನೆಹೂಹೂಅವರಜೋಧ್ಯಾವಾಹಿನ್|ನಿಶ್ಚೈವಿಷ್ಣುಲೋಕಪಾದಪಾವ್|

ನಾಮ್ಭಜತ್ಅಗ್ನಿತ್ಅಘ್ನಶಾಯ್ಬುದ್ಧಿವಂತಿಕೆಯಬೆಳಕುಬುದ್ಧಿವಂತಿಕೆಯಿಂದಬೆಳಗಲಿ|

 

ಜಿಮ್ಮಿಧನ್ಮೂಲಧರ್ಮಅರುಡಾನಾ|ಮೂಲಗಂಗಾನೀರನ್ನುಪಡೆಯುವುದು|

ನಂತರಗನ್ನನ್ನುದುಃಖದಿಂದಗುಣಿಸಿ|ಮನೆಆಸ್ತಿ, ಸುಮತಿವಿರಾಜತ್|

 

ಗಂಗಿಹೆಸರಿನೊಂದಿಗೆಗಮನ|ದುರ್ಜನ್ಹುಸಜ್ಜನ್ಪಡವತ್|

ಉದಿಹಿನ್ವಿದ್ಯಾಬಾಲ್ಪಾವೈ|ರೋಗಿಯುರೋಗಮುಕ್ತ|

 

ಗಂಡುಎಂದುಕರೆಯಲಾಗದಗಂಗಾಗಂಗಾ|ಹಸಿವಿನಿಂದಬೆತ್ತಲೆಕಬುಹುಇಲ್ಲ|

ಗಂಗಾಮಾಯ್ತುಂಬಾಒಳ್ಳೆಯದು|ಶ್ರವನ್ದಾಬಿಯಮಚಲ್ಲಿನ್ಪಾರೈ|

 

ಅಘಿನ್ಅಧ್ಮಾನ್ನಂತಹನಕ್ಷತ್ರಗಳುಎಲ್ಲಿವೆಸೋದರಮಾವನಮುಚ್ಚಿದಗೋಡೆಗಳು|

ಗ್ಯಾಂಗ್ಜಪಿಸುವಗಂಡುಒಟ್ಟುಸಾಧನೆ

 

ಎಲ್ಲಾಸಂತೋಷಗಳುಅಂತಿಮಸ್ಥಿತಿ|ಟ್ರಾಫಿಕ್ಇಲ್ಲ|

ಧನಿಮೈಯಾಸುರಸಾರಿಸುಖ್ಡೈನಿ|ಧನಿಧನಿತಿರತ್ರಾಜ್ತ್ರಿವೇಣಿ|

 

ಕಾಕ್ರಗ್ರಾಮ age ಷಿದುರ್ವಾಸ|ಸುಂದರ್ದಾಸ್ಗಂಗಾಗಂಗಾದಾಸ|

ಈಗಂಗಾಚಾಲಿಸಾವನ್ನುಯಾರುಓದಿದರು|ಭಕ್ತಿಅವಿರಾಗ್ವಾಗಿಸಾಸ್ವೀಕರಿಸಿದರು|

 

|| ದೋಹಾ ||

ಹೊಸಸಂತೋಷಗಳಿವೆ|ಗಂಗಾಗಮನವನ್ನುಹಿಡಿದುಕೊಳ್ಳಿ|

ಅಂತಸಮೈಸುರ್ಪುರ್ಬಾಸಲ್|ಸದರ್ವಿಮಾನ|

 

ಸಂವತ್ಭೂತ್ನಬ್ಧಿಶಿ|ರಾಮನಜನ್ಮದಿನದಂದುಚೈತ್ರ|

ಚಾಲಿಸಾಮಾಡಲಾಗುತ್ತದೆ|ಹಸಿರುಭಕ್ತರಆಸಕ್ತಿ

CHALISA IN KASHMIRI

Kashmiri and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Chalisa written in Awadhi dialect. 

॥दोहा॥

जय जय जय जग पावनी, जयति देवसरि गंग।
जय शिव जटा निवासिनी, अनुपम तुंग तरंग॥

॥चौपाई॥

जय जय जननी हराना अघखानी। आनंद करनी गंगा महारानी॥

जय भगीरथी सुरसरि माता। कलिमल मूल डालिनी विख्याता॥

जय जय जहानु सुता अघ हनानी। भीष्म की माता जगा जननी॥

धवल कमल दल मम तनु सजे। लखी शत शरद चंद्र छवि लजाई॥

वहां मकर विमल शुची सोहें। अमिया कलश कर लखी मन मोहें॥

जदिता रत्ना कंचन आभूषण। हिय मणि हर, हरानितम दूषण॥

जग पावनी त्रय ताप नासवनी। तरल तरंग तुंग मन भावनी॥

जो गणपति अति पूज्य प्रधान। इहूं ते प्रथम गंगा अस्नाना॥

ब्रह्मा कमंडल वासिनी देवी। श्री प्रभु पद पंकज सुख सेवि॥

साथी सहस्त्र सागर सुत तरयो। गंगा सागर तीरथ धरयो॥

अगम तरंग उठ्यो मन भवन। लखी तीरथ हरिद्वार सुहावन॥

तीरथ राज प्रयाग अक्षैवेता। धरयो मातु पुनि काशी करवत॥

धनी धनी सुरसरि स्वर्ग की सीधी। तरनी अमिता पितु पड़ पिरही॥

भागीरथी ताप कियो उपारा। दियो ब्रह्म तव सुरसरि धारा॥

जब जग जननी चल्यो हहराई। शम्भु जाता महं रह्यो समाई॥

वर्षा पर्यंत गंगा महारानी। रहीं शम्भू के जाता भुलानी॥

पुनि भागीरथी शम्भुहीं ध्यायो। तब इक बूंद जटा से पायो॥

ताते मातु भें त्रय धारा। मृत्यु लोक, नाभा, अरु पातारा॥

गईं पाताल प्रभावती नामा। मन्दाकिनी गई गगन ललामा॥

मृत्यु लोक जाह्नवी सुहावनी। कलिमल हरनी अगम जग पावनि॥

धनि मइया तब महिमा भारी। धर्मं धुरी कलि कलुष कुठारी॥

मातु प्रभवति धनि मंदाकिनी। धनि सुर सरित सकल भयनासिनी॥

पन करत निर्मल गंगा जल। पावत मन इच्छित अनंत फल॥

पुरव जन्म पुण्य जब जागत। तबहीं ध्यान गंगा महं लागत॥

जई पगु सुरसरी हेतु उठावही। तई जगि अश्वमेघ फल पावहि॥

महा पतित जिन कहू न तारे। तिन तारे इक नाम तिहारे॥

शत योजन हूं से जो ध्यावहिं। निशचाई विष्णु लोक पद पावहीं॥

नाम भजत अगणित अघ नाशै। विमल ज्ञान बल बुद्धि प्रकाशे॥

जिमी धन मूल धर्मं अरु दाना। धर्मं मूल गंगाजल पाना॥

तब गुन गुणन करत दुख भाजत। गृह गृह सम्पति सुमति विराजत॥

गंगहि नेम सहित नित ध्यावत। दुर्जनहूं सज्जन पद पावत॥

उद्दिहिन विद्या बल पावै। रोगी रोग मुक्त हवे जावै॥

गंगा गंगा जो नर कहहीं। भूखा नंगा कभुहुह न रहहि॥

निकसत ही मुख गंगा माई। श्रवण दाबी यम चलहिं पराई॥

महं अघिन अधमन कहं तारे। भए नरका के बंद किवारें॥

जो नर जपी गंग शत नामा। सकल सिद्धि पूरण ह्वै कामा॥

सब सुख भोग परम पद पावहीं। आवागमन रहित ह्वै जावहीं॥

धनि मइया सुरसरि सुख दैनि। धनि धनि तीरथ राज त्रिवेणी॥

ककरा ग्राम ऋषि दुर्वासा। सुन्दरदास गंगा कर दासा॥

जो यह पढ़े गंगा चालीसा। मिली भक्ति अविरल वागीसा॥

॥दोहा॥

नित नए सुख सम्पति लहैं। धरें गंगा का ध्यान।
अंत समाई सुर पुर बसल। सदर बैठी विमान॥

संवत भुत नभ्दिशी। राम जन्म दिन चैत्र।
पूरण चालीसा किया। हरी भक्तन हित नेत्र॥

॥ इति श्री गंगा चालीसा सम्पूर्ण ॥

CHALISA IN KONKANI

Konkani and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Chalisa written in Awadhi dialect. 

॥दोहा॥

जय जय जय जग पावनी, जयति देवसरि गंग।
जय शिव जटा निवासिनी, अनुपम तुंग तरंग॥

॥चौपाई॥

जय जय जननी हराना अघखानी। आनंद करनी गंगा महारानी॥

जय भगीरथी सुरसरि माता। कलिमल मूल डालिनी विख्याता॥

जय जय जहानु सुता अघ हनानी। भीष्म की माता जगा जननी॥

धवल कमल दल मम तनु सजे। लखी शत शरद चंद्र छवि लजाई॥

वहां मकर विमल शुची सोहें। अमिया कलश कर लखी मन मोहें॥

जदिता रत्ना कंचन आभूषण। हिय मणि हर, हरानितम दूषण॥

जग पावनी त्रय ताप नासवनी। तरल तरंग तुंग मन भावनी॥

जो गणपति अति पूज्य प्रधान। इहूं ते प्रथम गंगा अस्नाना॥

ब्रह्मा कमंडल वासिनी देवी। श्री प्रभु पद पंकज सुख सेवि॥

साथी सहस्त्र सागर सुत तरयो। गंगा सागर तीरथ धरयो॥

अगम तरंग उठ्यो मन भवन। लखी तीरथ हरिद्वार सुहावन॥

तीरथ राज प्रयाग अक्षैवेता। धरयो मातु पुनि काशी करवत॥

धनी धनी सुरसरि स्वर्ग की सीधी। तरनी अमिता पितु पड़ पिरही॥

भागीरथी ताप कियो उपारा। दियो ब्रह्म तव सुरसरि धारा॥

जब जग जननी चल्यो हहराई। शम्भु जाता महं रह्यो समाई॥

वर्षा पर्यंत गंगा महारानी। रहीं शम्भू के जाता भुलानी॥

पुनि भागीरथी शम्भुहीं ध्यायो। तब इक बूंद जटा से पायो॥

ताते मातु भें त्रय धारा। मृत्यु लोक, नाभा, अरु पातारा॥

गईं पाताल प्रभावती नामा। मन्दाकिनी गई गगन ललामा॥

मृत्यु लोक जाह्नवी सुहावनी। कलिमल हरनी अगम जग पावनि॥

धनि मइया तब महिमा भारी। धर्मं धुरी कलि कलुष कुठारी॥

मातु प्रभवति धनि मंदाकिनी। धनि सुर सरित सकल भयनासिनी॥

पन करत निर्मल गंगा जल। पावत मन इच्छित अनंत फल॥

पुरव जन्म पुण्य जब जागत। तबहीं ध्यान गंगा महं लागत॥

जई पगु सुरसरी हेतु उठावही। तई जगि अश्वमेघ फल पावहि॥

महा पतित जिन कहू न तारे। तिन तारे इक नाम तिहारे॥

शत योजन हूं से जो ध्यावहिं। निशचाई विष्णु लोक पद पावहीं॥

नाम भजत अगणित अघ नाशै। विमल ज्ञान बल बुद्धि प्रकाशे॥

जिमी धन मूल धर्मं अरु दाना। धर्मं मूल गंगाजल पाना॥

तब गुन गुणन करत दुख भाजत। गृह गृह सम्पति सुमति विराजत॥

गंगहि नेम सहित नित ध्यावत। दुर्जनहूं सज्जन पद पावत॥

उद्दिहिन विद्या बल पावै। रोगी रोग मुक्त हवे जावै॥

गंगा गंगा जो नर कहहीं। भूखा नंगा कभुहुह न रहहि॥

निकसत ही मुख गंगा माई। श्रवण दाबी यम चलहिं पराई॥

महं अघिन अधमन कहं तारे। भए नरका के बंद किवारें॥

जो नर जपी गंग शत नामा। सकल सिद्धि पूरण ह्वै कामा॥

सब सुख भोग परम पद पावहीं। आवागमन रहित ह्वै जावहीं॥

धनि मइया सुरसरि सुख दैनि। धनि धनि तीरथ राज त्रिवेणी॥

ककरा ग्राम ऋषि दुर्वासा। सुन्दरदास गंगा कर दासा॥

जो यह पढ़े गंगा चालीसा। मिली भक्ति अविरल वागीसा॥

॥दोहा॥

नित नए सुख सम्पति लहैं। धरें गंगा का ध्यान।
अंत समाई सुर पुर बसल। सदर बैठी विमान॥

संवत भुत नभ्दिशी। राम जन्म दिन चैत्र।
पूरण चालीसा किया। हरी भक्तन हित नेत्र॥

॥ इति श्री गंगा चालीसा सम्पूर्ण ॥

CHALISA IN MAITHILI

Maithili and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Chalisa written in Awadhi dialect. 

॥दोहा॥

जय जय जय जग पावनी, जयति देवसरि गंग।
जय शिव जटा निवासिनी, अनुपम तुंग तरंग॥

॥चौपाई॥

जय जय जननी हराना अघखानी। आनंद करनी गंगा महारानी॥

जय भगीरथी सुरसरि माता। कलिमल मूल डालिनी विख्याता॥

जय जय जहानु सुता अघ हनानी। भीष्म की माता जगा जननी॥

धवल कमल दल मम तनु सजे। लखी शत शरद चंद्र छवि लजाई॥

वहां मकर विमल शुची सोहें। अमिया कलश कर लखी मन मोहें॥

जदिता रत्ना कंचन आभूषण। हिय मणि हर, हरानितम दूषण॥

जग पावनी त्रय ताप नासवनी। तरल तरंग तुंग मन भावनी॥

जो गणपति अति पूज्य प्रधान। इहूं ते प्रथम गंगा अस्नाना॥

ब्रह्मा कमंडल वासिनी देवी। श्री प्रभु पद पंकज सुख सेवि॥

साथी सहस्त्र सागर सुत तरयो। गंगा सागर तीरथ धरयो॥

अगम तरंग उठ्यो मन भवन। लखी तीरथ हरिद्वार सुहावन॥

तीरथ राज प्रयाग अक्षैवेता। धरयो मातु पुनि काशी करवत॥

धनी धनी सुरसरि स्वर्ग की सीधी। तरनी अमिता पितु पड़ पिरही॥

भागीरथी ताप कियो उपारा। दियो ब्रह्म तव सुरसरि धारा॥

जब जग जननी चल्यो हहराई। शम्भु जाता महं रह्यो समाई॥

वर्षा पर्यंत गंगा महारानी। रहीं शम्भू के जाता भुलानी॥

पुनि भागीरथी शम्भुहीं ध्यायो। तब इक बूंद जटा से पायो॥

ताते मातु भें त्रय धारा। मृत्यु लोक, नाभा, अरु पातारा॥

गईं पाताल प्रभावती नामा। मन्दाकिनी गई गगन ललामा॥

मृत्यु लोक जाह्नवी सुहावनी। कलिमल हरनी अगम जग पावनि॥

धनि मइया तब महिमा भारी। धर्मं धुरी कलि कलुष कुठारी॥

मातु प्रभवति धनि मंदाकिनी। धनि सुर सरित सकल भयनासिनी॥

पन करत निर्मल गंगा जल। पावत मन इच्छित अनंत फल॥

पुरव जन्म पुण्य जब जागत। तबहीं ध्यान गंगा महं लागत॥

जई पगु सुरसरी हेतु उठावही। तई जगि अश्वमेघ फल पावहि॥

महा पतित जिन कहू न तारे। तिन तारे इक नाम तिहारे॥

शत योजन हूं से जो ध्यावहिं। निशचाई विष्णु लोक पद पावहीं॥

नाम भजत अगणित अघ नाशै। विमल ज्ञान बल बुद्धि प्रकाशे॥

जिमी धन मूल धर्मं अरु दाना। धर्मं मूल गंगाजल पाना॥

तब गुन गुणन करत दुख भाजत। गृह गृह सम्पति सुमति विराजत॥

गंगहि नेम सहित नित ध्यावत। दुर्जनहूं सज्जन पद पावत॥

उद्दिहिन विद्या बल पावै। रोगी रोग मुक्त हवे जावै॥

गंगा गंगा जो नर कहहीं। भूखा नंगा कभुहुह न रहहि॥

निकसत ही मुख गंगा माई। श्रवण दाबी यम चलहिं पराई॥

महं अघिन अधमन कहं तारे। भए नरका के बंद किवारें॥

जो नर जपी गंग शत नामा। सकल सिद्धि पूरण ह्वै कामा॥

सब सुख भोग परम पद पावहीं। आवागमन रहित ह्वै जावहीं॥

धनि मइया सुरसरि सुख दैनि। धनि धनि तीरथ राज त्रिवेणी॥

ककरा ग्राम ऋषि दुर्वासा। सुन्दरदास गंगा कर दासा॥

जो यह पढ़े गंगा चालीसा। मिली भक्ति अविरल वागीसा॥

॥दोहा॥

नित नए सुख सम्पति लहैं। धरें गंगा का ध्यान।
अंत समाई सुर पुर बसल। सदर बैठी विमान॥

संवत भुत नभ्दिशी। राम जन्म दिन चैत्र।
पूरण चालीसा किया। हरी भक्तन हित नेत्र॥

॥ इति श्री गंगा चालीसा सम्पूर्ण ॥

CHALISA IN MALAYALAM

||സ്തുതി ||

അമ്മശിൽ‌സുതാസ്ഭാര്യസസുധശ്രങ്കർധരാവലി|

സ്വർഗാരോഹകൻജയജയന്തിഭക്തിഭഗീരതിഅപേക്ഷ|

 

 

|| ദോഹ||

ജയ്ജയ്ജയ്ജഗ്പവാനി, ജയതിദേവസാരിഗാംഗ്|

ജയ്ശിവജാതനിവാസിനി, അനുപംതുംഗ്തരംഗ്|

 

 

ജയ്ജയ്ജനാനിഹരാനഅഖാനി|ഗംഗാരാജ്ഞിആസ്വദിക്കൂ|

ജയ്ഭഗീരതിസുരസാരിമാതാ|കലിമൽമൂലഡാലിനിവിഖിത|

 

ജയ്ജയ്ജഹാനുസുതാഅഗ്ഹനാനി|ഭീഷ്മന്റെഅമ്മ, അമ്മയെഉണർത്തുക|

ധവാൽകമൽദൾഎംഎംതനുവസ്ത്രംധരിച്ചു|ലഖിശരദ്ശരദ്ചന്ദ്രഇമേജ്ലജായ്|

 

മകരവിമൽഷൂച്ചിയെഅവിടെമുക്കിവയ്ക്കുക|അമിയകലാഷ്ചെയ്തുകൊണ്ട്മനസ്സിനെസന്തോഷിപ്പിക്കുക|

ജാദിതരത്‌നകാഞ്ചൻജ്വല്ലറി|ഹായ്മണിഹര, ഹരാനിതംഅഴിമതി|

 

ജഗ്പവാനിട്രീചൂട്നസ്വാനി|ലിക്വിഡ്വേവ്തംഗ്മനഭവാനി

ജോഗണപതിവളരെബഹുമാനിക്കപ്പെടുന്നതലയാണ്|ഇഹുൻടെമെയ്ഡൻഗംഗആസനം|

 

ബ്രഹ്മകമാൻഡൽവാസിനിദേവി|ശ്രീപ്രഭുപങ്കജ്സുഖ്സേവി|

സഹസഹാറസാഗർസൂത്രടാരോ|ഗംഗാസാഗർതിരത്ത്ധരിയോ|

 

അഗംതരംഗ്ഉചിയോമാൻഭവൻ|ലഖിതിറത്ത്ഹരിദ്വാർസുഹവാൻ|

തിരത്ത്രാജ്പ്രയാഗ്അക്ഷയവേത|ധരിയോമാട്ടുപുനികാശികർവത്ത്|

 

സമ്പന്നനായസമ്പന്നനായസുർസാരിസ്വർഗത്തിലേക്കുള്ളനേരിട്ടുള്ളതാണ്|താരാനിഅമിതപിതുപാഡിപരിഹി|

ഭാഗീരതിടാപ്പ്കിയോഉപാര|ദിയോബ്രഹ്മതവസുരസാരിധാര|

 

ജഗ്ജനാനിനടന്നപ്പോൾ|ശംഭുപോയിജീവിക്കുന്നു|

മഴക്കാലത്ത്ഗംഗാരാജ്ഞി|ഭുലാനിയെശംഭുവിന്വിട്ടുകൊടുത്തു|

 

പുണിഭാഗീരതിശംഭുഹിധ്യായോ|തുടർന്ന്ഒരുതുള്ളിവീഴുക

ടേറ്റ്മാട്ടുഭേട്രൈസ്ട്രീം|മൂർത്തിലോക, നഭ, അരുപതാര|

 

ഗയപട്ടാൽപ്രഭാവതിനാമഗഗൻലാലാംമന്ദിനി|

മരണംലോക്ജഹ്നവിസുഹവാനി|കലിമൽഹർനിആഗംജഗ്പവ്നി|

 

ധൻമായപിന്നീട്മഹത്വപ്പെടുത്തി|ധർമ്മൻധൂരികാളികലുഷ്കുത്താരി|

മാതുപ്രഭാവതിധനിമന്ദാകിനി|ധനിസുർസരിത്സക്കൽഭയാനസിനി|

 

പാൻകാരാട്ട്നിർമ്മൽഗംഗവെള്ളം|അംഗീകാരമനസ്സ്|അനന്തമായഫലംആഗ്രഹിക്കുന്നു|

ജഗത്ചെയ്യുമ്പോൾപൂർവ്വജനനപുണ്യം|അതുകൊണ്ടാണ്ധ്യാനത്തിന്ഗംഗയെവളരെയധികംചിലവാക്കുന്നത്|

 

പാഗുസുരസാരിക്കായിഓട്‌സ്ഏറ്റെടുത്തു|തായ്ജാഗിഅശ്വമേദ്ഫ്രൂട്ട്പവി|

വലിയഅശുദ്ധമായഎൻജിൻഎന്നോട്പറയരുത്|ടിതരേഇക്നാംതിഹാരെ|

 

ഷാറ്റ്യോജനഹൂനിൽനിന്നുള്ളജോധ്യാവാഹിൻ|നിഷ്ചായ്വിഷ്ണുലോക്പാദപാവ്|

നാംഭജത്അഗ്നിത്അഗ്നഷായ്|ജ്ഞാനത്തിന്റെവെളിച്ചംജ്ഞാനത്തോടെപ്രകാശിക്കട്ടെ|

 

ജിമ്മിധൻയഥാർത്ഥമതംഅരുദാന|യഥാർത്ഥഗംഗാവെള്ളംലഭിക്കുന്നു|

എന്നിട്ട്സങ്കടത്തോടെതോക്ക്ഗുണിക്കുക|വീടിന്റെസ്വത്ത്, സുമതിവിരാജത്ത്|

 

ഗംഗാഹിനാമംഉൾപ്പെടെയുള്ളശ്രദ്ധ|ദുർജാൻജുസഞ്ജൻപടാവത്|

ഉദിഹിൻവിദ്യബാൽപവായി|രോഗിരോഗരഹിതമാണ്|

 

പുരുഷൻഎന്ന്വിളിക്കാത്തഗംഗാഗംഗ|വിശന്നനഗ്നനായകബുഹുഉണ്ടാവില്ല|

ഗംഗാമായ്വളരെനല്ലതാണ്|ശ്രാവൺഡാബിയമചാലിൻപരായ്|

 

അജിൻഅദ്മാൻപോലുള്ളനക്ഷത്രങ്ങൾഎവിടെയാണ്അളിയന്റെമതിലുകൾഅടച്ചു|

ഗാംഗ്ചൊല്ലുന്നപുരുഷൻമൊത്തനേട്ടം

 

എല്ലാആനന്ദങ്ങളുംആത്യന്തികനിലയാണ്|ട്രാഫിക്ഇല്ല|

ധനിമായസുരസാരിസുഖ്ഡെയ്‌നി|ധനിധനിതീരത്ത്രാജ്ത്രിവേണി|

 

കക്രഗ്രാമമുനിദുർവാസ|സുന്ദർദാസ്ഗംഗാദംഗ|

ഈഗംഗാചാലിസവായിക്കുന്നഒരാൾ|ഭക്തിഅവിരാഗ്വാഗിസസ്വീകരിച്ചു|

 

 

ദോഹ||

പുതിയആനന്ദങ്ങളുണ്ട്|ഗംഗയുടെശ്രദ്ധപിടിക്കുക|

ആന്തസമായിസർപുർബാസൽ|സർദാർവിമാനം|

 

സംവത്ഭൂട്ട്നബ്ബിഷി|രാമന്റെജന്മദിനത്തിൽചൈത്ര|

ചാലിസചെയ്തു|പച്ചഭക്തരുടെതാൽപ്പര്യക്കണ്ണ്|

CHALISA IN MEITEI

Meitei and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Chalisa written in Awadhi dialect. 

॥दोहा॥

जय जय जय जग पावनी, जयति देवसरि गंग।
जय शिव जटा निवासिनी, अनुपम तुंग तरंग॥

॥चौपाई॥

जय जय जननी हराना अघखानी। आनंद करनी गंगा महारानी॥

जय भगीरथी सुरसरि माता। कलिमल मूल डालिनी विख्याता॥

जय जय जहानु सुता अघ हनानी। भीष्म की माता जगा जननी॥

धवल कमल दल मम तनु सजे। लखी शत शरद चंद्र छवि लजाई॥

वहां मकर विमल शुची सोहें। अमिया कलश कर लखी मन मोहें॥

जदिता रत्ना कंचन आभूषण। हिय मणि हर, हरानितम दूषण॥

जग पावनी त्रय ताप नासवनी। तरल तरंग तुंग मन भावनी॥

जो गणपति अति पूज्य प्रधान। इहूं ते प्रथम गंगा अस्नाना॥

ब्रह्मा कमंडल वासिनी देवी। श्री प्रभु पद पंकज सुख सेवि॥

साथी सहस्त्र सागर सुत तरयो। गंगा सागर तीरथ धरयो॥

अगम तरंग उठ्यो मन भवन। लखी तीरथ हरिद्वार सुहावन॥

तीरथ राज प्रयाग अक्षैवेता। धरयो मातु पुनि काशी करवत॥

धनी धनी सुरसरि स्वर्ग की सीधी। तरनी अमिता पितु पड़ पिरही॥

भागीरथी ताप कियो उपारा। दियो ब्रह्म तव सुरसरि धारा॥

जब जग जननी चल्यो हहराई। शम्भु जाता महं रह्यो समाई॥

वर्षा पर्यंत गंगा महारानी। रहीं शम्भू के जाता भुलानी॥

पुनि भागीरथी शम्भुहीं ध्यायो। तब इक बूंद जटा से पायो॥

ताते मातु भें त्रय धारा। मृत्यु लोक, नाभा, अरु पातारा॥

गईं पाताल प्रभावती नामा। मन्दाकिनी गई गगन ललामा॥

मृत्यु लोक जाह्नवी सुहावनी। कलिमल हरनी अगम जग पावनि॥

धनि मइया तब महिमा भारी। धर्मं धुरी कलि कलुष कुठारी॥

मातु प्रभवति धनि मंदाकिनी। धनि सुर सरित सकल भयनासिनी॥

पन करत निर्मल गंगा जल। पावत मन इच्छित अनंत फल॥

पुरव जन्म पुण्य जब जागत। तबहीं ध्यान गंगा महं लागत॥

जई पगु सुरसरी हेतु उठावही। तई जगि अश्वमेघ फल पावहि॥

महा पतित जिन कहू न तारे। तिन तारे इक नाम तिहारे॥

शत योजन हूं से जो ध्यावहिं। निशचाई विष्णु लोक पद पावहीं॥

नाम भजत अगणित अघ नाशै। विमल ज्ञान बल बुद्धि प्रकाशे॥

जिमी धन मूल धर्मं अरु दाना। धर्मं मूल गंगाजल पाना॥

तब गुन गुणन करत दुख भाजत। गृह गृह सम्पति सुमति विराजत॥

गंगहि नेम सहित नित ध्यावत। दुर्जनहूं सज्जन पद पावत॥

उद्दिहिन विद्या बल पावै। रोगी रोग मुक्त हवे जावै॥

गंगा गंगा जो नर कहहीं। भूखा नंगा कभुहुह न रहहि॥

निकसत ही मुख गंगा माई। श्रवण दाबी यम चलहिं पराई॥

महं अघिन अधमन कहं तारे। भए नरका के बंद किवारें॥

जो नर जपी गंग शत नामा। सकल सिद्धि पूरण ह्वै कामा॥

सब सुख भोग परम पद पावहीं। आवागमन रहित ह्वै जावहीं॥

धनि मइया सुरसरि सुख दैनि। धनि धनि तीरथ राज त्रिवेणी॥

ककरा ग्राम ऋषि दुर्वासा। सुन्दरदास गंगा कर दासा॥

जो यह पढ़े गंगा चालीसा। मिली भक्ति अविरल वागीसा॥

॥दोहा॥

नित नए सुख सम्पति लहैं। धरें गंगा का ध्यान।
अंत समाई सुर पुर बसल। सदर बैठी विमान॥

संवत भुत नभ्दिशी। राम जन्म दिन चैत्र।
पूरण चालीसा किया। हरी भक्तन हित नेत्र॥

॥ इति श्री गंगा चालीसा सम्पूर्ण ॥

CHALISA IN MARATHI

Marathi and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Chalisa written in Awadhi dialect. 

 

||स्तुती ||

आईशैलसुतासपत्नीसासुधाश्रंगारधारवली|

स्वर्गाआरोहजयजययंतीभक्तिभगिरथीयाचिका।

 

| | डोहा||

जयजयजयजगपवनी, जयतीदेवसरीगँग|

जयशिवजातीनिवासिनी, अनुपमतुंगतरंग|

 

 

जयजयजनानीहरानाआखाणी।गंगाराणीचाआनंदघ्या|

जयभागीरथीसुरसरीमाता।कालीमलमूलदलिनीविखैता

 

जयजयजहांुसुताअघहणानी।भीष्माचीआई, जागृतआई|

धवलकमलदलएमएमतनुपोशाख|लखीशरदशरदचंद्रप्रतिमालाजाई|

 

तेथेमकरविमलशुचिभिजवा|अमियाकलशकरूनमनालाआनंदद्या|

जदितारत्नकांचनज्वेलरी|हायमणीहारा, हरणीतंभ्रष्टाचार।

 

जगपावनीत्रियेउष्मानासवाणी।तरलतरंग

जोगणपतीअत्यंतआदरणीयडोकेआहे|इहुनतेमैदेनगंगाआसन|

 

ब्रह्माकमंडलवासिनीदेवी।श्रीप्रभुपंकजसुखसेवी|

सहकारीसहस्त्रसागरसूत्रतारो|गंगासागरतीरथधारिओ।

 

आगमतरंगउच्योमनभवन।लखीतीरथहरिद्वारसुहावन।

तीरथराजप्रयागअक्षयवेता।धारीओमतूपुणिकाशीकरवत।

 

श्रीमंतश्रीसारीस्वर्गातीलडायरेक्टआहे|तरणीअमितापिटूपाधीपरिही।

भगीरथीतपकियोउपरा।देवब्रह्मातवसुरसरीधारा।

 

जगजनानीचाललातेव्हा|शंभूजातोआणिजगतो

पावसातगंगाराणी|भुलानीशंभूलासोडण्यातआले|

 

पुनीभागीरथीशंभूहिध्यानयो।नंतरएकथेंबड्रॉपकरा

तातेमातुभेत्रिप्रवाह।मृत्यूलोक, नाभा, अरुपाटारा|

 

गयापाटलप्रभावतीनामागगनलालममंदिनी।

मृत्यूलोकजाह्नवीसुहवाणी।कालीमलहरणीआगमजगपवनी।

 

 

त्यानंतरधनमैयानेजोरदारपणेगौरवकेले|धर्मधुरीकालीकलुषकुथारी।

मातुप्रभावतीधनीमंदाकिनी।धनीसूरसारितसकलभय्यासिनी।

 

पानकरातनिर्मलगंगापाणी।मान्यकेलेमनइच्छितअनंतफळ।

पूर्वाजन्मपुण्यजगततेव्हा।म्हणूनचध्यानकरण्यासाठीगंगेचीकिंमतखूपजास्तअसते|

 

पागुसुरसारीसाठीघेतलेलाओट्स|ताईजगीअश्वमेधफळपावी।

मलामहानअपवित्रजिनसांगूनका|तीतरेएकनामतिहारे|

 

शतयोजनाहूनमधूनजोध्यावाहिन|निश्चयविष्णूलोकपाडापाव।

नामभजतअग्नितआघनाशाईज्ञानाचाप्रकाशशहाणपणानेचमकूशकेल|

 

जिमीधनमूळधर्मअरुदाना|मूळगंगेचेपाणीमिळविणे|

मगदुःखानेबंदूकगुणाकार|घरमालमत्ता, सुमतीविराजत|

 

गंगीनामाकडेलक्ष|दुर्जनहुसज्जनपडवत।

उधिहिंविद्याबाळपवई।रुग्णरोगमुक्तअसतो|

 

गंगागंगाज्यालानरम्हटलेजातनाही|भुकेलेलानागडाकॅबुहुहनाही|

गंगामाईखूपछानआहे|श्रावणदबीयमाचालीनपाराई।

 

अघिनअधमानसारखेतारेकोठेआहेतभावाच्याबंदभिंती|

नरजोगंगजपतोएकूणकामग

खहीपरमस्थितीआहे|कोणतीहीरहदारीनाही|

धनीमैयासुरसरीसुखदैनी।धणीधनीतीरथराजत्रिवेणी।

 

काकरागावदुर्वासा।सुंदरदासगंगागंगादासा|

हीगंगाचालीसाकोणीवाचली|प्राप्तभक्तीअविरागयोनिसा।

 

|| डोहा ||

तेथेनवीनआनंदआहेत|गंगाचेलक्षधरा|

अंतसमईसूरपुरबेसल।सदरविमान|

 

संवतभूतनाभधीशी।रामाच्यावाढदिवशीचैत्र|

चालीसाझाली|हरीभक्तव्याज

CHALISA IN NEPALI

Nepali and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Chalisa written in Awadhi dialect. 

 

॥दोहा॥

जय जय जय जग पावनी, जयति देवसरि गंग।
जय शिव जटा निवासिनी, अनुपम तुंग तरंग॥

॥चौपाई॥

जय जय जननी हराना अघखानी। आनंद करनी गंगा महारानी॥

जय भगीरथी सुरसरि माता। कलिमल मूल डालिनी विख्याता॥

जय जय जहानु सुता अघ हनानी। भीष्म की माता जगा जननी॥

धवल कमल दल मम तनु सजे। लखी शत शरद चंद्र छवि लजाई॥

वहां मकर विमल शुची सोहें। अमिया कलश कर लखी मन मोहें॥

जदिता रत्ना कंचन आभूषण। हिय मणि हर, हरानितम दूषण॥

जग पावनी त्रय ताप नासवनी। तरल तरंग तुंग मन भावनी॥

जो गणपति अति पूज्य प्रधान। इहूं ते प्रथम गंगा अस्नाना॥

ब्रह्मा कमंडल वासिनी देवी। श्री प्रभु पद पंकज सुख सेवि॥

साथी सहस्त्र सागर सुत तरयो। गंगा सागर तीरथ धरयो॥

अगम तरंग उठ्यो मन भवन। लखी तीरथ हरिद्वार सुहावन॥

तीरथ राज प्रयाग अक्षैवेता। धरयो मातु पुनि काशी करवत॥

धनी धनी सुरसरि स्वर्ग की सीधी। तरनी अमिता पितु पड़ पिरही॥

भागीरथी ताप कियो उपारा। दियो ब्रह्म तव सुरसरि धारा॥

जब जग जननी चल्यो हहराई। शम्भु जाता महं रह्यो समाई॥

वर्षा पर्यंत गंगा महारानी। रहीं शम्भू के जाता भुलानी॥

पुनि भागीरथी शम्भुहीं ध्यायो। तब इक बूंद जटा से पायो॥

ताते मातु भें त्रय धारा। मृत्यु लोक, नाभा, अरु पातारा॥

गईं पाताल प्रभावती नामा। मन्दाकिनी गई गगन ललामा॥

मृत्यु लोक जाह्नवी सुहावनी। कलिमल हरनी अगम जग पावनि॥

धनि मइया तब महिमा भारी। धर्मं धुरी कलि कलुष कुठारी॥

मातु प्रभवति धनि मंदाकिनी। धनि सुर सरित सकल भयनासिनी॥

पन करत निर्मल गंगा जल। पावत मन इच्छित अनंत फल॥

पुरव जन्म पुण्य जब जागत। तबहीं ध्यान गंगा महं लागत॥

जई पगु सुरसरी हेतु उठावही। तई जगि अश्वमेघ फल पावहि॥

महा पतित जिन कहू न तारे। तिन तारे इक नाम तिहारे॥

शत योजन हूं से जो ध्यावहिं। निशचाई विष्णु लोक पद पावहीं॥

नाम भजत अगणित अघ नाशै। विमल ज्ञान बल बुद्धि प्रकाशे॥

जिमी धन मूल धर्मं अरु दाना। धर्मं मूल गंगाजल पाना॥

तब गुन गुणन करत दुख भाजत। गृह गृह सम्पति सुमति विराजत॥

गंगहि नेम सहित नित ध्यावत। दुर्जनहूं सज्जन पद पावत॥

उद्दिहिन विद्या बल पावै। रोगी रोग मुक्त हवे जावै॥

गंगा गंगा जो नर कहहीं। भूखा नंगा कभुहुह न रहहि॥

निकसत ही मुख गंगा माई। श्रवण दाबी यम चलहिं पराई॥

महं अघिन अधमन कहं तारे। भए नरका के बंद किवारें॥

जो नर जपी गंग शत नामा। सकल सिद्धि पूरण ह्वै कामा॥

सब सुख भोग परम पद पावहीं। आवागमन रहित ह्वै जावहीं॥

धनि मइया सुरसरि सुख दैनि। धनि धनि तीरथ राज त्रिवेणी॥

ककरा ग्राम ऋषि दुर्वासा। सुन्दरदास गंगा कर दासा॥

जो यह पढ़े गंगा चालीसा। मिली भक्ति अविरल वागीसा॥

॥दोहा॥

नित नए सुख सम्पति लहैं। धरें गंगा का ध्यान।
अंत समाई सुर पुर बसल। सदर बैठी विमान॥

संवत भुत नभ्दिशी। राम जन्म दिन चैत्र।
पूरण चालीसा किया। हरी भक्तन हित नेत्र॥

॥ इति श्री गंगा चालीसा सम्पूर्ण ॥

CHALISA IN ODIA

|| ପ୍ରଶଂସା||

ମାତାଶିଲସୁତାସପତ୍ନୀସେସୁଧାଶରଙ୍ଗରଧରାବଲି |

ସ୍ୱର୍ଗଆରୋହଣଜୟଜୟନ୍ତୀଭକ୍ତଭାଗୀରଥୀନିବେଦନ |

 

 

|| ଦୋହା||

ଜୟଜୟଜୟପାଭାନୀ, ଜୟତିଦେବସାରୀଗ୍ୟାଙ୍ଗ |

ଜୟଶିବଜତାନିୱାସିନି, ଅନୁପମତୁଙ୍ଗତରଙ୍ଗ |

 

 

 

ଜୟଜୟଜାନାନିହରାନାଅଗକାନି | ଗଙ୍ଗାରାଣୀଉପଭୋଗକରନ୍ତୁ |

ଜୟଭାଗୀରଥୀସୁରସାରୀମାତା | କାଲିମାଲ୍ମଲ୍ଡାଲିନିଭିକିତା |

 

ଜୟଜୟଜାହାନୁସୁଟାଆଗହାନାନି | ଭୀଷ୍ମଙ୍କମା, ଜାଗ୍ରତମା।

ଧାୱାଲକମଲଦଲଏମତନୁପରିଧାନକରିଥିଲେ।ଲାଖୀଶରଦଶରଦଚନ୍ଦ୍ରପ୍ରତିଛବିଲାଜାଇ |

 

ମାକରଭିମଲଶୁଚିଙ୍କୁସେଠାରେଭିଜାନ୍ତୁ | ଆମିୟାକାଲାଶକରିମନକୁଖୁସିକର |

ଜଦିତାରତ୍ନାକାଞ୍ଚନଅଳଙ୍କାର | ହାଏମଣିହାରା, ହରାନିଟମ୍ଦୁର୍ନୀତି |

 

ଜାଗପାଭାନିଟ୍ରାଇଗରମନାସୱାନି | ତରଳତରଙ୍ଗତୁଙ୍ଗମାନଭବନୀ |

ଜୋଗଣପତିବହୁତସମ୍ମାନିତମୁଣ୍ଡ |

 

ବ୍ରହ୍ମାକମଣ୍ଡାଲଭାସିନିଦେବୀ।ଶ୍ରୀପ୍ରଭାସପଙ୍କଜସୁଖସେଭି।

ସାଥୀସାହାରାସାଗରସୂତ୍ରତାରୋ | ଗଙ୍ଗାସାଗରତିରଥଧାରିଓ |

 

ଆଗାମତରଙ୍ଗଉଚୋମ୍ୟାନ୍ଭବନ | ଲାଖୀତିରଥହରିଦ୍ୱାରସୁହଭାନ୍ |

ତିରଥରାଜପ୍ରୟାଗଅକ୍ଷୟଭେତା |

 

ଧନୀଧନୀସୁରସାରୀସ୍ୱର୍ଗକୁସିଧାସଳଖ | ତାରାନିଅମିତାପିଟୁପଦ୍ମୀପାରିହି |

ଭାଗୀରଥୀଟ୍ୟାପ୍କିଓଅପାରା | ଦେଓବ୍ରହ୍ମାତାଭାସୁରସାରୀଧରା |

 

ଯେତେବେଳେଜାଗଜାନାନିଚାଲିଲେ | ଶମ୍ଭୁଚାଲିଯାଏଏବଂବଞ୍ଚେ |

ବର୍ଷାସମୟରେଗଙ୍ଗାରାଣୀ | ଭୁଲାନିଶମ୍ଭୁଙ୍କୁଛାଡିଦିଆଗଲା |

 

ପୁନିଭାଗୀରଥୀଶମ୍ଭୁହିଧାୟୋ | ତା’ପରେଗୋଟିଏବୁନ୍ଦାଦ୍ୱାରାଡ୍ରପ୍କରନ୍ତୁ |

ଲୋକା, ନବା, ଅରୁପାଟାରା |

 

ଗୟାପାଟାଲ୍ପ୍ରଭାସୀନାମ | ଗଗନଲାଲାମମାଣ୍ଡିନି |

ମୃତ୍ୟୁଲୋକଜାହ୍ନବୀସୁହବାନୀ | କାଲିମାଲ୍ହର୍ନିଆଗମ୍ଜାଗ୍ପାଭନି |

 

ଏହାପରେଧନମାୟାବହୁତଗହେଲେ | ଧର୍ମଧୁରୀକାଳୀକାଲୁଶକୁଥାରୀ |

ମତୁପ୍ରଭାସୀଧନୀମାଣ୍ଡାକିନି | ଧନୀସୁରସରିତସାକଲଭାୟନାସିନୀ |

 

ପାନକରାଟନିର୍ମଳଗଙ୍ଗାଜଳ | ସ୍ୱୀକୃତିମନ।ଅସୀମଫଳଇଚ୍ଛା |

ଜଗତଯେତେବେଳେପୁରଭାଜନ୍ମଗୁଣ | ସେଥିପାଇଁଧ୍ୟାନଗଙ୍ଗାକୁବହୁତଖର୍ଚ୍ଚକରେ |

 

ପାଗୁସୁରସାରୀପାଇଁନିଆଯାଇଥିବାଓଟସ୍ | ତାଇଜାଗିଅଶ୍ୱାମେଦ୍ଫଳପାଭି |

ମୋତେବଡଅଶୁଦ୍ଧଜିନ୍କୁହନାହିଁ |

 

ଶତଯୋଜନାହୂନରୁଜୋଧିଭାହିନ୍ | ନିଶାଇବିଷ୍ଣୁଲୋକପଡାପାଭ |

ନାମଭଜତ୍ଅଗ୍ନିତ୍ଅଗନାଶାଇ | ଜ୍ଞାନରଆଲୋକଜ୍ଞାନସହିତଉଜ୍ଜ୍ୱଳହେଉ।

 

ଜିମିଧନମୂଳଧର୍ମଅରୁଦାନା | ମୂଳଗଙ୍ଗାଜଳପାଇବା |

ତା’ପରେଦୁଖରେବନ୍ଧୁକକୁଗୁଣନକର | ଘରସମ୍ପତ୍ତି, ସୁମତିବିରଜାଟ |

 

ଗଙ୍ଗାହିନାମସହିତଧ୍ୟାନ | ଦୁର୍ଜନହୁସାଜନପଡାୱାଟ |

ଉଦହିନ୍ବିଦ୍ୟାବାଲ୍ପାଭାଇ | ରୋଗୀରୋଗମୁକ୍ତ।

 

ଗଙ୍ଗାଗଙ୍ଗାଯାହାକୁପୁରୁଷକୁହାଯାଏନାହିଁ | ଭୋକିଲାଉଲଗ୍ନକାବୁହୁହେବନାହିଁ |

ଗଙ୍ଗାମାବହୁତଭଲ | ଶ୍ରାବଣଦାବିୟାମାଚ୍ୟାଲେନ୍ପାରାଇ |

 

ଆଗିନଆଡମ୍ୟାନଙ୍କପରିତାରାମାନେକେଉଁଠାରେଅଛନ୍ତି | ଭାଉଜଙ୍କକାନ୍ଥବନ୍ଦ |

ପୁରୁଷଯିଏଗ୍ୟାଙ୍ଗଜପକରନ୍ତି | ମୋଟସଫଳତା |

 

ସମସ୍ତଭୋଗହେଉଛିଚରମସ୍ଥିତି | କଟ୍ରାଫିକ୍ନାହିଁ |

ଧନୀମାୟାସୁରାସାରୀସୁଖଡେନି | ଧାନିଧାନିତିରଥରାଜତ୍ରିବେଣୀ |

 

କାକରାଗ୍ରାମଷଦୁରବାସା | ସୁନ୍ଦରଦାସଗଙ୍ଗାଗଙ୍ଗାଦସା |

ଯିଏଏହିଗଙ୍ଗାଚଲିସାପନ୍ତି | ଭକ୍ତିଅଭୀରଗଭେଜିସାଗ୍ରହଣକଲେ |

 

 

ଦୋହା।

ସେଠାରେନୂତନଭୋଗଅଛି | ଗଙ୍ଗାରଧ୍ୟାନରଖନ୍ତୁ |

ଆଣ୍ଟାସମାଇସୁରପୁରବେସାଲ୍ | ସାଦରବିମାନ |

 

ସମ୍ୱତଭୁଟନବବିଶି | ରାମଙ୍କଜନ୍ମଦିନରେଚିତ୍ରା |

ଚଲିସାସମାପ୍ତହୋଇଛି | ସବୁଜଭକ୍ତଆଗ୍ରହରଆଖି |

CHALISA IN PUNJABI

||ਵਡਿਆਈ ||

ਮਾਂਸ਼ੈਲਸੁਤਾਸਪਤਨੀਸਾਸੁਧਾਸ਼੍ਰgarਰਧਾਰਵਾਲੀ।

ਸਵਰ੍ਗਾਚੜ੍ਹਨ੍ਯਜਯਜਾਯਨ੍ਤਿਭਕ੍ਤਿਭਾਗੀਰਥਿਬੇਨਤੀ.।

 

 

|| ਦੋਹਾ ||

ਜੈਜੈਜੈਜਗਪਾਵਾਨੀ, ਜਯਤਿਦੇਵਸਰੀਗੈਂਗ।

ਜੈਸ਼ਿਵਾਜਾਤਾਨਿਵਾਸਿਨੀ, ਅਨੂਪਮਤੁੰਗਤਰੰਗ।

 

 

ਜੈਜੈਜਾਨੀਹਰਣਾਅਗਾਖਣੀ।ਗੰਗਾਰਾਣੀਦਾਅਨੰਦਲਓ.

ਜੈਭਾਗੀਰਥੀਸੁਰਸਰੀਮਾਤਾ।ਕਲਿਮਲਮੂਲਡਲਿਨੀਵਿਖਾਤਾ।

 

ਜੈਜੈਜਹਾਨੁਸੁਤਾਅਘਹਨਾਨੀ।ਭੀਸ਼ਮਾਦੀਮਾਂ, ਜਾਗੋਮਾਂ.

ਧਵਲਕਮਲਦਲਐਮਐਮਤਨੁਪਹਿਨੇ।ਲਾਖੀਸ਼ਾਰਦਸ਼ਾਰਦਚੰਦਰਚਿੱਤਰਲਾਜੈ।

 

ਮਕਰਵਿਮਲਸ਼ੂਚੀਨੂੰਉਥੇਭਿਓਦਿਓ. ਅਮਿਯਾਕਲਾਸ਼ਕਰਕੇਮਨਨੂੰਖੁਸ਼ਕਰੋ.

ਜਦੀਤਾਰਤਨਕੰਚਨਗਹਿਣਿਆਂ. ਹਾਇਮਨੀਹਾਰਾ, ਹਰਨੀਤਮਭ੍ਰਿਸ਼ਟਾਚਾਰ।

 

ਜਗਪਾਵਣਿਤ੍ਰਿਗਰਮੀਨਸਵਾਨੀ।ਤਰਲਤਰੰਗਤੁੰਗਮਨਭਾਵਨੀ

ਜੋਗਣਪਤੀਬਹੁਤਸਤਿਕਾਰਯੋਗਸਿਰਹੈ. Ihun te maiden ਗੰਗਾਆਸਣਾ.

 

ਬ੍ਰਹਮਾਕਮੰਡਲਵਾਸਿਨੀਦੇਵੀ।ਸ਼੍ਰੀਪ੍ਰਭਪੰਕਜਸੁਖਸੇਵੀ।

ਸਾਥੀਸਹਸ੍ਰਸਾਗਰਸੁਤਤਾਰੋ।ਗੰਗਾਸਾਗਰਤੀਰਥਧਾਰਿਓ।

 

ਅਗਮਤਰੰਗਉਚਯੋਮਨਭਵਨ।ਲਖੀਤੀਰਥਹਰਿਦੁਆਰਸੁਹਾਵਨ।

ਤੀਰਥਰਾਜਪ੍ਰਯਾਗਅਕਸ਼ੈਵੇਤਾ।ਧਾਰਿਓਮਤੁਪੁਨੀਕਾਸ਼ੀਕਰਵਤ।

 

ਅਮੀਰਅਮੀਰਸੁਰਸਰੀਸਵਰਗਵੱਲਸਿੱਧੀਹੈ. ਤਰਨਿਅਮੀਤਾਪਿਤੁਪਧਿਪਰਿਹਿ॥

ਭਾਗੀਰਥੀਤਪਕੀਓਉਪਰਾ॥ਦੇਓਬ੍ਰਹਮਾਤਵਾਸੁਰਸਰੀਧਾਰਾ।

 

ਜੱਗਜਨਾਣੀਤੁਰਪਈ।ਸ਼ੰਭੂਚਲਾਜਾਂਦਾਹੈਅਤੇਜੀਉਂਦਾਹੈ.

ਮੀਂਹਦੌਰਾਨਗੰਗਾਰਾਣੀ. ਭੁਲਾਣੀਨੂੰਸ਼ੰਭੂਛੱਡਦਿੱਤਾਗਿਆਸੀ.

 

ਪੁਨੀਭਾਗੀਰਥੀਸ਼ੰਭੁਹੀਧਿਆਯੋ।ਫਿਰਇਕਬੂੰਦਕੇਸੁੱਟੋ

ਤਤਮਾਤੁਭਏਤ੍ਰਿਧਾਰਾ॥ਮੂਰਤਿਲੋਕਾ, ਨਾਭਾ, ਅਰੁਪਾਤਾਰਾ।

 

ਗਿਆਪਤਾਲਪ੍ਰਭਾਤੀਨਾਮਾਗਗਨਲਾਲਮਮੰਦਿਨੀ।

ਮੌਤਲੋਕਜਾਹਨਵੀਸੁਹਾਵਣੀ।ਕਲਿਮਲਹਰਨੀਅਗਮਜਗਪਾਵਨੀ।

 

ਧੰਨਮਈਆਫਿਰਭਾਰੀਮਹਿਮਾਕੀਤੀ. ਧਰਮਨਧੂਰੀਕਾਲੀਕਲੁਸ਼ਕੁਠਾਰੀ।

ਮਤੁਪ੍ਰਭਾਤੀਧਨੀਮੰਦਾਕਿਨੀ।ਧਨੀਸੁਰਸਰਿਤਸਕਲਭਯਾਨਾਸਿਨੀ।

 

ਪਾਨਕਰਤਨਿਰਮਲਗੰਗਾਜਲ।ਅਨੰਤਫਲਲੋੜੀਦੇਹਨ.

ਪੂਰਬਜਨਮਗੁਣਜਦਜਗਤ।ਇਸੇਲਈਅਭਿਆਸਕਰਨਨਾਲਗੰਗਾਦੀਬਹੁਤਕੀਮਤਹੁੰਦੀਹੈ.

 

ਓਟਪਗੂਸੁਰਸਰੀਲਈਲਿਆ. ਤੈਜਾਗੀਅਸ਼ਵਮੇਧਫਲਪਾਵਹਿ।

ਮੈਨੂੰਮਹਾਨਅਪਵਿੱਤ੍ਰਜਿਨਨਾਕਹੋ. ਤਿਅਤਾਰੇਇਕਨਾਮਤਿਹਾਰੇ।

 

ਜੋਤਧਿਆਵਹਿਂਸ਼ਤਯੋਜਨਾਹੋਂ।ਨਿਸ਼ਚੈਵਿਸ਼ਨੂੰਲੋਕਪਾਦਾਪਾਵ।

ਨਾਮਭਜਤਅਗਨੀਤਅਘਨਸ਼ਾਯ।ਸਿਆਣਪਨਾਲਚਾਨਣਦੀਰੋਸ਼ਨੀਚਮਕਸਕੇ.

 

ਜਿੰਮੀਧਨਮੂਲਧਰਮਅਰੁਦਾਣਾ।ਅਸਲਗੰਗਾਜਲਪ੍ਰਾਪਤਕਰਨਾ.

ਫਿਰਦੁਖੀਨਾਲਬੰਦੂਕਨੂੰਗੁਣਾਕਰਨਾ. ਮਕਾਨਜਾਇਦਾਦ, ਸੁਮਤੀਵਿਰਾਜਤ।

 

 

ਗੰਗਾਹੀਨਾਮਸਮੇਤਧਿਆਨਨਾਲਧਿਆਨ. ਦੁਰਜਨਹੁਸੱਜਨਪਦਾਵਤ।

ਉਧਹਿਂਵਿਦਿਆਬਾਲਪਾਵੈ।ਮਰੀਜ਼ਬਿਮਾਰੀਮੁਕਤਹੈ।

 

ਗੰਗਾਗੰਗਾਜਿਸਨੂੰਨਰਨਹੀਂਕਿਹਾਜਾਂਦਾ. ਭੁੱਖੇਨੰਗੇਕਬਹੂਹਨਹੀਂਹੋਣਗੇ.

ਗੰਗਾਮਾਈਬਹੁਤਵਧੀਆਹੈ. ਸ਼ਰਵਣਦਬੀਯਾਮਾਚਲਿਨਪਰਾਯ।

 

ਅਘਿਨਅਧਮਾਨਵਰਗੇਤਾਰੇਕਿੱਥੇਹਨਭੈਣ-ਭਰਾਦੀਆਂਕੰਧਾਂਬੰਦਹੋਗਈਆਂ।

ਉਹਨਰਜੋਗੈਂਗਦਾਜਾਪਕਰਦਾਹੈਕੁੱਲਪ੍ਰਾਪਤੀ

 

ਸਾਰੇਅਨੰਦਅਖੀਰਲੀਅਵਸਥਾਹਨ. ਕੋਈਟ੍ਰੈਫਿਕਨਹੀਂਹੈ.

ਧਨੀਮਾਇਆਸੁਰਸਰੀਸੁਖਦੈਣੀ।ਧਨੀਧਨੀਤੀਰਥਰਾਜਤ੍ਰਿਵੇਣੀ।

 

ਕਕੜਾਪਿੰਡਸੇਜਦੁਰਵਾਸ।ਸੁੰਦਰਦਾਸਗੰਗਾਗੰਗਾਦਾਸਾ।

ਇੱਕਜੋਇਸਗੰਗਾਚਾਲੀਸਾਨੂੰਪੜ੍ਹਦਾਹੈ. ਪ੍ਰਾਪਤਸ਼ਰਧਾਅਵੈਰਗਵਗੀਸਾ.

 

 

|| ਦੋਹਾ ||

ਨਵੇਂਸੁੱਖਹਨ. ਗੰਗਾਦਾਧਿਆਨਰੱਖੋ.

ਅੰਤਾਸਮੈਸੁਰਪੁਰਬੇਸਲ।ਸਦਰਜਹਾਜ਼.

 

ਸੰਵਤਭੂਤਨਾਭਧਿ।ਰਾਮਾਦੇਜਨਮਦਿਨ ‘ਤੇਚੈਤ੍ਰ.

ਚਾਲੀਸਾਹੋਗਿਆ।ਹਰੀਭਗਤਰੁਚੀਅੱਖ।

CHALISA IN SANSKRIT

Sanskrit and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Chalisa written in Awadhi dialect. 

 

॥दोहा॥

जय जय जय जग पावनी, जयति देवसरि गंग।
जय शिव जटा निवासिनी, अनुपम तुंग तरंग॥

॥चौपाई॥

जय जय जननी हराना अघखानी। आनंद करनी गंगा महारानी॥

जय भगीरथी सुरसरि माता। कलिमल मूल डालिनी विख्याता॥

जय जय जहानु सुता अघ हनानी। भीष्म की माता जगा जननी॥

धवल कमल दल मम तनु सजे। लखी शत शरद चंद्र छवि लजाई॥

वहां मकर विमल शुची सोहें। अमिया कलश कर लखी मन मोहें॥

जदिता रत्ना कंचन आभूषण। हिय मणि हर, हरानितम दूषण॥

जग पावनी त्रय ताप नासवनी। तरल तरंग तुंग मन भावनी॥

जो गणपति अति पूज्य प्रधान। इहूं ते प्रथम गंगा अस्नाना॥

ब्रह्मा कमंडल वासिनी देवी। श्री प्रभु पद पंकज सुख सेवि॥

साथी सहस्त्र सागर सुत तरयो। गंगा सागर तीरथ धरयो॥

अगम तरंग उठ्यो मन भवन। लखी तीरथ हरिद्वार सुहावन॥

तीरथ राज प्रयाग अक्षैवेता। धरयो मातु पुनि काशी करवत॥

धनी धनी सुरसरि स्वर्ग की सीधी। तरनी अमिता पितु पड़ पिरही॥

भागीरथी ताप कियो उपारा। दियो ब्रह्म तव सुरसरि धारा॥

जब जग जननी चल्यो हहराई। शम्भु जाता महं रह्यो समाई॥

वर्षा पर्यंत गंगा महारानी। रहीं शम्भू के जाता भुलानी॥

पुनि भागीरथी शम्भुहीं ध्यायो। तब इक बूंद जटा से पायो॥

ताते मातु भें त्रय धारा। मृत्यु लोक, नाभा, अरु पातारा॥

गईं पाताल प्रभावती नामा। मन्दाकिनी गई गगन ललामा॥

मृत्यु लोक जाह्नवी सुहावनी। कलिमल हरनी अगम जग पावनि॥

धनि मइया तब महिमा भारी। धर्मं धुरी कलि कलुष कुठारी॥

मातु प्रभवति धनि मंदाकिनी। धनि सुर सरित सकल भयनासिनी॥

पन करत निर्मल गंगा जल। पावत मन इच्छित अनंत फल॥

पुरव जन्म पुण्य जब जागत। तबहीं ध्यान गंगा महं लागत॥

जई पगु सुरसरी हेतु उठावही। तई जगि अश्वमेघ फल पावहि॥

महा पतित जिन कहू न तारे। तिन तारे इक नाम तिहारे॥

शत योजन हूं से जो ध्यावहिं। निशचाई विष्णु लोक पद पावहीं॥

नाम भजत अगणित अघ नाशै। विमल ज्ञान बल बुद्धि प्रकाशे॥

जिमी धन मूल धर्मं अरु दाना। धर्मं मूल गंगाजल पाना॥

तब गुन गुणन करत दुख भाजत। गृह गृह सम्पति सुमति विराजत॥

गंगहि नेम सहित नित ध्यावत। दुर्जनहूं सज्जन पद पावत॥

उद्दिहिन विद्या बल पावै। रोगी रोग मुक्त हवे जावै॥

गंगा गंगा जो नर कहहीं। भूखा नंगा कभुहुह न रहहि॥

निकसत ही मुख गंगा माई। श्रवण दाबी यम चलहिं पराई॥

महं अघिन अधमन कहं तारे। भए नरका के बंद किवारें॥

जो नर जपी गंग शत नामा। सकल सिद्धि पूरण ह्वै कामा॥

सब सुख भोग परम पद पावहीं। आवागमन रहित ह्वै जावहीं॥

धनि मइया सुरसरि सुख दैनि। धनि धनि तीरथ राज त्रिवेणी॥

ककरा ग्राम ऋषि दुर्वासा। सुन्दरदास गंगा कर दासा॥

जो यह पढ़े गंगा चालीसा। मिली भक्ति अविरल वागीसा॥

॥दोहा॥

नित नए सुख सम्पति लहैं। धरें गंगा का ध्यान।
अंत समाई सुर पुर बसल। सदर बैठी विमान॥

संवत भुत नभ्दिशी। राम जन्म दिन चैत्र।
पूरण चालीसा किया। हरी भक्तन हित नेत्र॥

॥ इति श्री गंगा चालीसा सम्पूर्ण ॥

CHALISA IN SANTALI

Santali and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Chalisa written in Awadhi dialect. 

 

॥दोहा॥

जय जय जय जग पावनी, जयति देवसरि गंग।
जय शिव जटा निवासिनी, अनुपम तुंग तरंग॥

॥चौपाई॥

जय जय जननी हराना अघखानी। आनंद करनी गंगा महारानी॥

जय भगीरथी सुरसरि माता। कलिमल मूल डालिनी विख्याता॥

जय जय जहानु सुता अघ हनानी। भीष्म की माता जगा जननी॥

धवल कमल दल मम तनु सजे। लखी शत शरद चंद्र छवि लजाई॥

वहां मकर विमल शुची सोहें। अमिया कलश कर लखी मन मोहें॥

जदिता रत्ना कंचन आभूषण। हिय मणि हर, हरानितम दूषण॥

जग पावनी त्रय ताप नासवनी। तरल तरंग तुंग मन भावनी॥

जो गणपति अति पूज्य प्रधान। इहूं ते प्रथम गंगा अस्नाना॥

ब्रह्मा कमंडल वासिनी देवी। श्री प्रभु पद पंकज सुख सेवि॥

साथी सहस्त्र सागर सुत तरयो। गंगा सागर तीरथ धरयो॥

अगम तरंग उठ्यो मन भवन। लखी तीरथ हरिद्वार सुहावन॥

तीरथ राज प्रयाग अक्षैवेता। धरयो मातु पुनि काशी करवत॥

धनी धनी सुरसरि स्वर्ग की सीधी। तरनी अमिता पितु पड़ पिरही॥

भागीरथी ताप कियो उपारा। दियो ब्रह्म तव सुरसरि धारा॥

जब जग जननी चल्यो हहराई। शम्भु जाता महं रह्यो समाई॥

वर्षा पर्यंत गंगा महारानी। रहीं शम्भू के जाता भुलानी॥

पुनि भागीरथी शम्भुहीं ध्यायो। तब इक बूंद जटा से पायो॥

ताते मातु भें त्रय धारा। मृत्यु लोक, नाभा, अरु पातारा॥

गईं पाताल प्रभावती नामा। मन्दाकिनी गई गगन ललामा॥

मृत्यु लोक जाह्नवी सुहावनी। कलिमल हरनी अगम जग पावनि॥

धनि मइया तब महिमा भारी। धर्मं धुरी कलि कलुष कुठारी॥

मातु प्रभवति धनि मंदाकिनी। धनि सुर सरित सकल भयनासिनी॥

पन करत निर्मल गंगा जल। पावत मन इच्छित अनंत फल॥

पुरव जन्म पुण्य जब जागत। तबहीं ध्यान गंगा महं लागत॥

जई पगु सुरसरी हेतु उठावही। तई जगि अश्वमेघ फल पावहि॥

महा पतित जिन कहू न तारे। तिन तारे इक नाम तिहारे॥

शत योजन हूं से जो ध्यावहिं। निशचाई विष्णु लोक पद पावहीं॥

नाम भजत अगणित अघ नाशै। विमल ज्ञान बल बुद्धि प्रकाशे॥

जिमी धन मूल धर्मं अरु दाना। धर्मं मूल गंगाजल पाना॥

तब गुन गुणन करत दुख भाजत। गृह गृह सम्पति सुमति विराजत॥

गंगहि नेम सहित नित ध्यावत। दुर्जनहूं सज्जन पद पावत॥

उद्दिहिन विद्या बल पावै। रोगी रोग मुक्त हवे जावै॥

गंगा गंगा जो नर कहहीं। भूखा नंगा कभुहुह न रहहि॥

निकसत ही मुख गंगा माई। श्रवण दाबी यम चलहिं पराई॥

महं अघिन अधमन कहं तारे। भए नरका के बंद किवारें॥

जो नर जपी गंग शत नामा। सकल सिद्धि पूरण ह्वै कामा॥

सब सुख भोग परम पद पावहीं। आवागमन रहित ह्वै जावहीं॥

धनि मइया सुरसरि सुख दैनि। धनि धनि तीरथ राज त्रिवेणी॥

ककरा ग्राम ऋषि दुर्वासा। सुन्दरदास गंगा कर दासा॥

जो यह पढ़े गंगा चालीसा। मिली भक्ति अविरल वागीसा॥

॥दोहा॥

नित नए सुख सम्पति लहैं। धरें गंगा का ध्यान।
अंत समाई सुर पुर बसल। सदर बैठी विमान॥

संवत भुत नभ्दिशी। राम जन्म दिन चैत्र।
पूरण चालीसा किया। हरी भक्तन हित नेत्र॥

॥ इति श्री गंगा चालीसा सम्पूर्ण ॥

CHALISA IN SINDHI

Sindhi and Hindi languages are both written using the same script called ‘Devanagari’ . We recommend you to read the original Hindi version of Chalisa written in Awadhi dialect. 

 

॥दोहा॥

जय जय जय जग पावनी, जयति देवसरि गंग।
जय शिव जटा निवासिनी, अनुपम तुंग तरंग॥

॥चौपाई॥

जय जय जननी हराना अघखानी। आनंद करनी गंगा महारानी॥

जय भगीरथी सुरसरि माता। कलिमल मूल डालिनी विख्याता॥

जय जय जहानु सुता अघ हनानी। भीष्म की माता जगा जननी॥

धवल कमल दल मम तनु सजे। लखी शत शरद चंद्र छवि लजाई॥

वहां मकर विमल शुची सोहें। अमिया कलश कर लखी मन मोहें॥

जदिता रत्ना कंचन आभूषण। हिय मणि हर, हरानितम दूषण॥

जग पावनी त्रय ताप नासवनी। तरल तरंग तुंग मन भावनी॥

जो गणपति अति पूज्य प्रधान। इहूं ते प्रथम गंगा अस्नाना॥

ब्रह्मा कमंडल वासिनी देवी। श्री प्रभु पद पंकज सुख सेवि॥

साथी सहस्त्र सागर सुत तरयो। गंगा सागर तीरथ धरयो॥

अगम तरंग उठ्यो मन भवन। लखी तीरथ हरिद्वार सुहावन॥

तीरथ राज प्रयाग अक्षैवेता। धरयो मातु पुनि काशी करवत॥

धनी धनी सुरसरि स्वर्ग की सीधी। तरनी अमिता पितु पड़ पिरही॥

भागीरथी ताप कियो उपारा। दियो ब्रह्म तव सुरसरि धारा॥

जब जग जननी चल्यो हहराई। शम्भु जाता महं रह्यो समाई॥

वर्षा पर्यंत गंगा महारानी। रहीं शम्भू के जाता भुलानी॥

पुनि भागीरथी शम्भुहीं ध्यायो। तब इक बूंद जटा से पायो॥

ताते मातु भें त्रय धारा। मृत्यु लोक, नाभा, अरु पातारा॥

गईं पाताल प्रभावती नामा। मन्दाकिनी गई गगन ललामा॥

मृत्यु लोक जाह्नवी सुहावनी। कलिमल हरनी अगम जग पावनि॥

धनि मइया तब महिमा भारी। धर्मं धुरी कलि कलुष कुठारी॥

मातु प्रभवति धनि मंदाकिनी। धनि सुर सरित सकल भयनासिनी॥

पन करत निर्मल गंगा जल। पावत मन इच्छित अनंत फल॥

पुरव जन्म पुण्य जब जागत। तबहीं ध्यान गंगा महं लागत॥

जई पगु सुरसरी हेतु उठावही। तई जगि अश्वमेघ फल पावहि॥

महा पतित जिन कहू न तारे। तिन तारे इक नाम तिहारे॥

शत योजन हूं से जो ध्यावहिं। निशचाई विष्णु लोक पद पावहीं॥

नाम भजत अगणित अघ नाशै। विमल ज्ञान बल बुद्धि प्रकाशे॥

जिमी धन मूल धर्मं अरु दाना। धर्मं मूल गंगाजल पाना॥

तब गुन गुणन करत दुख भाजत। गृह गृह सम्पति सुमति विराजत॥

गंगहि नेम सहित नित ध्यावत। दुर्जनहूं सज्जन पद पावत॥

उद्दिहिन विद्या बल पावै। रोगी रोग मुक्त हवे जावै॥

गंगा गंगा जो नर कहहीं। भूखा नंगा कभुहुह न रहहि॥

निकसत ही मुख गंगा माई। श्रवण दाबी यम चलहिं पराई॥

महं अघिन अधमन कहं तारे। भए नरका के बंद किवारें॥

जो नर जपी गंग शत नामा। सकल सिद्धि पूरण ह्वै कामा॥

सब सुख भोग परम पद पावहीं। आवागमन रहित ह्वै जावहीं॥

धनि मइया सुरसरि सुख दैनि। धनि धनि तीरथ राज त्रिवेणी॥

ककरा ग्राम ऋषि दुर्वासा। सुन्दरदास गंगा कर दासा॥

जो यह पढ़े गंगा चालीसा। मिली भक्ति अविरल वागीसा॥

॥दोहा॥

नित नए सुख सम्पति लहैं। धरें गंगा का ध्यान।
अंत समाई सुर पुर बसल। सदर बैठी विमान॥

संवत भुत नभ्दिशी। राम जन्म दिन चैत्र।
पूरण चालीसा किया। हरी भक्तन हित नेत्र॥

॥ इति श्री गंगा चालीसा सम्पूर्ण ॥

CHALISA IN TAMIL

||புகழ் ||

தாய்ஷில்சுதாஸ்மனைவிசசுதாஷ்ரங்கர்தாராவளி.

ஸ்வர்காஉயர்வுஜெயஜயந்திபக்திபாகீரதிவேண்டுகோள்.

 

 

|| தோஹா ||

ஜெய்ஜெய்ஜெய்ஜக்பவானி, ஜெயதிதேவ்சரிகும்பல்.

ஜெய்சிவஜாதாநிவாசினி, அனுபம்துங்தரங்.

 

 

ஜெய்ஜெய்ஜனனிஹரானாஅக்கானி. கங்கைராணியைஅனுபவிக்கவும்.

ஜெய்பகீரதிசுரசரிமாதா. காளிமல்மூலதாலினிவைகிதா.

 

ஜெய்ஜெய்ஜஹானுசூதாஆக்ஹனானி. பீஷ்மரின்தாய், எழுந்திருஅம்மா.

தவால்கமல்தளம்எம்.எம்தனுஉடை. லக்கிஷரத்ஷரத்சந்திரபடம்லஜாய்.

 

மகரவிமல்சுச்சியைஅங்கேஊறவைக்கவும். அமியாகலாஷ்செய்துமனதைமகிழ்விக்கவும்.

ஜாதிதாரத்னாகாஞ்சன்ஜூவல்லரி. ஹாய்மணிஹரா, ஹரானிதம்ஊழல்.

 

ஜக்பவானிட்ரைவெப்பநஸ்வானி. திரவஅலைதுங்மனபவானி

ஜோகணபதிமிகவும்மரியாதைக்குரியதலை. இஹுன்தேமெய்டன்கங்காஆசனா.

 

பிரம்மாகாமண்டல்வாசினிதேவி. ஸ்ரீபிரபுபங்கஜ்சுக்சேவி.

சகசஹஸ்த்ராசாகர்சூத்திரதாரோ. கங்காசாகர்தீரத்தாரியோ.

 

அகம்தரங்உச்சியோமன்பவன். லக்கிதீரத்ஹரித்வார்சுஹவன்.

தீரத்ராஜ்பிரயாக்அக்ஷயவேட்டா. தாரியோமாத்துபுனிகாஷிகர்வத்.

 

பணக்காரபணக்காரசுர்சாரிசொர்க்கத்திற்குநேரடியானவர். தரணிஅமிதாபித்துபாடிபரிஹி.

பாகீரதிடாப்கியோஉபாரா. தியோபிரம்மாதவாசூராசரிதாரா.

 

ஜக்ஜனானிநடந்தபோது. ஷம்புபோய்வாழ்கிறான்.

மழையின்போதுகங்காராணி. பூலானிஷம்புவிடம்விடப்பட்டார்.

 

புனிபாகீரதிஷம்புஹிதியோ. பின்னர்ஒருதுளிமூலம்கைவிடவும்

டேட்மாத்துபேட்ரீஸ்ட்ரீம். மூர்த்திலோகா, நாபா, அருபதாரா.

 

கயாபடால்பிரபாவதிநாமாககன்லலாம்மந்தினி.

மரணம்லோக்ஜஹ்னவிசுஹாவனி. காளிமல்ஹர்னிஆகம்ஜக்பாவ்னி.

 

பின்னர்தன்மையாபெரிதும்மகிமைப்படுத்தினார். தர்மன்துரிகாளிகலுஷ்குத்தாரி.

மாதுபிரபாவதிதனிமண்டகினி. தனிசுர்சரித்சகல்பயனசினி.

 

பான்காரத்நிர்மல்கங்கைநீர். ஒப்புதல்மனம். எல்லையற்றபழம்விரும்பப்படுகிறது.

ஜகத்போதுபூர்வபிறப்புநல்லொழுக்கம். அதனால்தான்தியானம்கங்கைக்குமிகவும்செலவாகிறது.

 

பாகுசுரசாரிக்குஓட்ஸ்எடுக்கப்பட்டது. தைஜாகிஅஸ்வமேத்பழபவி.

பெரியதூய்மையற்றஜின்என்னிடம்சொல்லாதே. டிதாரேஇம்நாம்திஹாரே.

 

ஷாட்யோஜனாஹூனைச்சேர்ந்தஜோத்யாவாஹின். நிஷ்சாய்விஷ்ணுலோக்பாடாபாவ்.

நாம்பஜாத்அக்னிட்அக்நஷாய். ஞானத்தின்ஒளிஞானத்தால்பிரகாசிக்கட்டும்.

 

ஜிம்மிதன்அசல்மதம்அருடானா. அசல்கங்கைநீரைப்பெறுதல்.

பின்னர்சோகத்துடன்துப்பாக்கியைப்பெருக்கவும். வீட்டுசொத்து, சுமதிவிராஜத்.

 

கங்காஹிபெயர்உட்படகவனமுள்ளகவனம். துர்ஜன்ஹுசஜ்ஜன்பதாவத்.

உதிஹின்வித்யாபால்பவாய். நோயாளிநோய்இல்லாதவர்.

 

ஆண்என்றுஅழைக்கப்படாதகங்கைகங்கை. ஒருபசிநிர்வாணகபுஹுஇருக்காது.

கங்கைமாய்மிகவும்நல்லது. ஷ்ரவன்டாபியமாசல்லின்பராய்.

 

அகின்ஆத்மான்போன்றநட்சத்திரங்கள்எங்கேஅண்ணியின்மூடியசுவர்கள்.

கும்பலைமுழக்கமிடும்ஆண்மொத்தசாதனை

 

எல்லாஇன்பங்களும்இறுதிநிலை. போக்குவரத்துஇல்லை.

தனிமியாசுராசரிசுக்டைனி. தனிதனிதீரத்ராஜ்திரிவேணி.

 

கக்ராகிராமமுனிவர்துர்வாசா. சுந்தர்தாஸ்கங்கைகங்காதசா.

இந்தகங்கைசாலிசாவைப்படிப்பவர். பக்திஅவிராக்வாகிசாபெற்றது.

 

 

|| தோஹா ||

புதியஇன்பங்கள்உள்ளன. கங்கையின்கவனத்தைபிடி.

அந்தாசமாய்சுர்புர்பாசல். சதர்விமானம்.

 

சம்வத்பூத்நப்திஷி. ராமரின்பிறந்தநாளில்சைத்ரா.

சாலிசாசெய்யப்படுகிறது. பச்சைபக்தர்வட்டிகண்.

CHALISA IN TELUGU

|| ప్రశంసలు ||

తల్లిశైల్‌సుతాస్భార్యససుధశ్రాంగర్ధరవళి|

స్వర్గఅధిరోహకుడుజయజయంతిభక్తిభగీరథివిజ్ఞప్తి|

 

|| దోహా||

జైజైజైజగపావని, జయతిదేవ్‌సరిగ్యాంగ్|

జైశివజాతానివాసిని, అనుపమ్తుంగ్తరంగ్|

 

 

జైజైజనానిహరానాఅగ్ఖని|గంగారాణినిఆస్వాదించండి|

జైభగీరథిసూరసరిమాతా|కలిమల్మూల్దళినివిఖైత

 

జైజైజహానుసూతాఅఘ్హనాని|భీష్ముడితల్లి, మేల్కొలపండి|

ధావల్కమల్దళ్ఓంతనుదుస్తులుధరించారు|లఖిశరద్శరద్చంద్రచిత్రంలాజై|

 

మకరవిమల్షుచీనిఅక్కడనానబెట్టండి|అమియాకలాష్చేయడంద్వారామనస్సునుసంతోషపెట్టండి|

జదితరత్నకాంచన్జ్యువెలరీ|హాయ్మణిహరా, హరనితంఅవినీతి|

 

జగ్పావనిట్రీహీట్నాస్వానీ|ద్రవతరంగం

జోగణపతిచాలాగౌరవనీయమైనతల|ఇహున్తేమైడెన్గంగాఆసనం|

 

బ్రహ్మకామండల్వాసినిదేవి|శ్రీప్రభుపంకజ్సుఖ్సేవి|

తోటిసహశాస్త్రసాగర్సూత్రతారో|గంగాసాగర్తీరత్ధారియో|

 

అగంతారంగ్ఉచ్యోమాన్భవన్|లఖితీరత్హరిద్వార్సుహావన్|

తీరత్రాజ్ప్రయాగ్అక్షయవేత|ధారియోమాటుపునికాశీకర్వత్|

 

ధనవంతుడైనసుర్సరిస్వర్గానికిప్రత్యక్షం|తరణిఅమితాపిటుపాధిపరిహి|

భాగీరథిట్యాప్కియోఉపారా|డియోబ్రహ్మతవసురాసరిధారా|

 

జగజనానినడిచినప్పుడు|శంబువెళ్లిజీవించాడు

వర్షంసమయంలోగంగారాణి|భులానీనిశంభుకివదిలేశారు|

 

పునిభగీరథిశంభుహిధ్యాయో|అప్పుడుఒకడ్రాప్ద్వారాడ్రాప్చేయండి

టేట్మాటుభేట్రీస్ట్రీమ్|డెత్లోక్, నభా, అరుపటారా|

 

గయాపాటల్ప్రభావతినామాగగన్లాలాంమందిని|

డెత్లోక్జాహ్నవిసుహవానీ|కలిమల్హర్నిఅగంజగ్పావని|

 

ధన్మైయాఅప్పుడుభారీగాకీర్తింపబడ్డాడు|ధర్మన్ధూరికాళికలుష్కుతారి|

మాతుప్రభావతిధనిమండకిని|ధనిసుర్సరిత్సకల్భయానసిని|

 

పాన్కారత్నిర్మల్గంగానీరు|అంగీకరించినమనస్సుఅనంతమైనఫలాలనుకోరుకుంటుంది|

జగత్చేసినప్పుడుపూర్వాజన్మధర్మం|అందుకేధ్యానంగంగానదికిచాలాఖర్చుఅవుతుంది|

 

పగుసురాసరికోసంఓట్స్తీసుకున్నారు|తాయ్జాగిఅశ్వమేధ్ఫ్రూట్పవి|

గొప్పఅశుద్ధమైనజిన్నునాకుచెప్పవద్దు|టితారేఇమ్నామ్తిహారే|

 

షాట్యోజనహూన్హూనుండిజోధ్యవాహిన్|నిష్చాయ్విష్ణులోక్పాదాపావ్|

నామ్భజత్అగ్నిత్అఘ్నషాయ్జ్ఞానంయొక్కకాంతిజ్ఞానంతోప్రకాశిస్తుంది|

 

జిమ్మీధన్అసలుమతంఅరుడానా|అసలుగంగానీటినిపొందడం|

అప్పుడుతుపాకీనివిచారంతోగుణించాలి|ఇంటిఆస్తి, సుమతివిరాజాత్|

 

గంగీపేరుతోశ్రద్ధ|దుర్జన్హుసజ్జన్పదవత్|

ఉదిహిన్విద్యాబాల్పావై|రోగివ్యాధిలేనివాడు|

 

మగఅనిపిలవనిగంగాగంగా|ఆకలితోఉన్ననగ్నకాబుహుహ్లేదు|

గంగామాయిచాలాబాగుంది|శ్రావన్డాబీయమచల్లిన్పరాయి|

 

అఘిన్అధ్మాన్వంటినక్షత్రాలుఎక్కడఉన్నాయిబావమరిదిగోడలు|

గ్యాంగ్జపించేమగవాడుస్థూలసాధన

 

అన్నిఆనందాలుఅంతిమస్థితి|ట్రాఫిక్లేదు|

ధానిమైయసురసరిసుఖ్దైని|ధనిధనితీరత్రాజ్త్రివేణి|

 

కాక్రాగ్రామసేజ్దుర్వాస|సుందర్‌దాస్గంగాగంగాదాస|

ఈగంగాచలిసానుఎవరుచదివారు|భక్తిఅవిరాగ్వాగిసాఅందుకుంది|

 

|| దోహా||

కొత్తఆనందాలుఉన్నాయి|గంగాదృష్టినిపట్టుకోండి|

అంటాసమైసుర్పుర్బేసల్|సదర్విమానం|

 

సంవత్భూత్నబ్దిషి|రాముడిపుట్టినరోజునచైత్ర|

చలిసాజరుగుతుంది|ఆకుపచ్చభక్తులఆసక్తి

CHALISA IN URDU

||

 

والدہشیلسوٹسکیاہلیہسسودھاشرنگردھروالی۔

سوارگاچڑھجیاجینتیبھکتیبھگیرتیالتجا۔

 

 

دوحہ||۔||

جئےجئےجئےجگپیوانی،جئےتیدیوساریگینگ۔

جئےشیواجاٹانواسینی،انوپمتنگترنگ۔

 

 

جئےجئےجانانیہرانہآغاانی۔گنگاملکہسےلطفاٹھائیں۔

جئےبھاگیرتیسورسریماتا۔کلیمالمولدلینیوکیٹا

 

جئےجئےجہانسوٹااگہنانی۔بھیشماکیماں،جاگماں۔

دھولکمالدالایمتانوکپڑےپہنے۔لکھیشردشردچندرامیجلاجaj۔

 

مکروملشوچیکووہاںبھگودیں۔امیہکالاشکرکےذہنکوراحتبخشیں۔

جڈیتارتناکنچنزیورات۔ہائےمنیہارا،ہرانیتمبدعنوانی۔

 

جگپیانیتریگرمیناسوانی۔مائعلہر

جوگنپتیبہتہیاحتراموالاسرہے۔|

 

برہماکمندلوسینیدیوی۔شریپربھوپنکجسکھسیوی۔

ساتھیسہسٹراساگرستراتارو۔گنگاساگرتیراٹھدھریو۔

 

اگمترنگاوچیومنبھون۔لکھیترتہریدوارسوہاوان۔

ترتراجپریاگاکشاہیتا۔دھاریومتوپنیکاشیکراوات۔

 

امیرامیرسرسریجنتکاراستہہے۔ترانیامیتاپیتوپدھیپریہی۔

بھگیرتیتپکیواپارا۔دیوبرہماتاواسراسریدھارا۔

 

جبجگجانانیچلدی۔شمبوجاتاہےاورجیتاہے

بارشکےدورانگنگاملکہ۔بھولانیشمبھوپررہگیاتھا۔

 

پونیبھاگیرتیشمبھوہیدھیائو۔پھرایکقطرہچھوڑیں

تتمتوبہتریندی۔موتلوک،نبھا،اروپاٹارا۔

 

گیاپٹلپربھاوتینامہگگنلالاممندینی۔

موتلوکجہنویسہوانی۔کاملالہرنیاگمجگپیانی۔

 

اسکےبعددھنمائیانےبہتزیادہتسبیحکی۔دھرمندھوریکلیکلوشکتھری۔

متوپربھاوتیدھنائیمانڈاکینی۔دھنیسورسیرتسکلبھایاناسینی۔

 

پانکراتنرملگنگاپانی۔تسلیمشدہدماغمطلوبہلامحدودپھل۔

پورواپیدائشکیخوبیجبجگت۔اسیوجہسےمراقبہکےلئےگنگاکیقیمتبہتزیادہہوتیہے۔

 

پگوسورساریکےل O اوٹسلیا۔تائیجاگیاشھمدھپھلپاوی۔

مجھےبڑےناپاکجنکومتبتانا۔تےتارےاکنامتہارے۔

 

جودھیواہینسےشتیوجناہنہن۔نیشچائیوشنولوکپاڈاپاو۔

نامبھجتاگنیتآغناشائیحکمتکیروشنیحکمتسےچمکائے۔

 

جمیدھناصلیمذہبارودانا۔اصلگنگاپانیحاصلکرنا۔

پھردکھکےساتھگنکوضربدینا۔مکانکیپراپرٹی،سمتیوراجات۔

 

گنگینامکےساتھتوجہدرجانہسججنپداوت۔

ادھیھینودیابالپائی۔مریضبیماریسےپاکہے۔

 

گنگاگنگاجسےمردنہیںکہاجاتاہے۔کوئیفاقہکشیننگےکیبھونہیںہے۔

گنگامائیبہتاچھیہے۔شرواندبییماچلنپارے۔

 

اگیناڈھمانجیسےستارےکہاںہیںبھابھیکیدیواریںبند۔

وہنرجوگینگکانعرہلگاتاہےمجموعیکارنامہ

 

تماملذتیںحتمیحیثیتہوتیہیں۔ٹریفکنہیںہے۔

دھنیمیاسسراریسکھدینی۔دھنیدھنیترتراجتریونی۔

 

 

ککڑاگاؤںسیجدروسہ۔سندرداسگنگاگنگاداسا۔

جسنےیہگنگاچالیسہپڑھی۔عقیدت avirag واگسہموصول|

 

دوحہ۔||

نئیخوشیاںہیں۔گنگاکادھیانرکھو۔

انتسمائیسورپوربیسال۔صدرطیارہ۔

 

سنوتبھٹنبھدیشی۔رامکیسالگرہکےموقعپرچیترا۔

چالیسہہوچکاہے۔سبزعقیدتمنددلچسپی

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