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Exclusive Saligram Ji Ki Aarti In Hindi

AARTI SALIGRAM JI KI

SALIGRAM JI KI AARTI IN HINDI

श्री सालिग्राम जी की आरती

 

सालिग्राम सुनो विनती मोरी यह वरदान दयाकर पाऊँ ।।

 

प्रातः समय उठि मज्जन करके प्रेम सहित स्नान कराऊँ ।

चन्दन धूप दीप तुलसीदल वरण-वरण के पुष्प चढ़ाऊँ ॥ १ ॥

 

तुम्हरे सामने नृत्य करूं नित प्रभु घंटा शंख मृदंग बजाऊं ।

चरण धोय चरणामृत लेकर कुटुम्ब सहित बैकुण्ठ सिधाऊँ ॥ २ ॥

 

जो कुछ रूखा-सूखा घर में भोग लगाकर भोजन पाऊँ ।

मन बच कर्म से पाप किये जो परिक्रमा के साथ बहाऊँ ॥ ३ ॥

 

ऐसी कृपा करो मुझ पर जम के द्वारे जाने न पाऊँ ।

माधोदास की विनय यही है हरि दासन को दास कहाऊँ ॥४॥

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